मुख्यमंत्री के आगमन के बाद भी नहीं बदली गांवों की सूरत, समाज की मुख्य धारा से पूरी तरह कटे हैं लोग

दिवाकर तिवारी ।

आजादी के बाद भी सासाराम लोकसभा क्षेत्र के 250 गांव में बिजली नहीं, पीने के पानी के लिए भी जाना पड़ता है गांव से दूर

सड़क, बिजली, पेयजल सहित तमाम मूलभूत सुविधाएं नदारद, पूर्व विधायक ललन पासवान ने सदन में भी उठाई आवाज, नहीं उठाए गए ठोस कदम

सासाराम। बिहार का सासाराम लोकसभा क्षेत्र देश का ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाले लगभग 250 गांव आज भी अंधेरे में हैं। एक तरफ जहां भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाकर पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवा चुका है वहीं दूसरी ओर देश के कई गांव ऐसे हैं जहां बिजली व पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अब तक नहीं पहुंच पाई है। आजादी के 75 साल बाद भी यहां के लोग पेयजल, शिक्षा, मकान, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तथा गुलामी की जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि लोग पीने के पानी के लिए भी प्रतिदिन दस दस किलोमीटर दूर जाते हैं। महिलाओं और बच्चे 10 किलोमीटर दूर से सर पर बड़े-बड़े बर्तनों में पानी भर कर लाते हैं। जिससे उनका खाना पीना होता है। जबकि जिस चूल्हे पर घर का भोजन बनता है उसी चूल्हे से निकली रोशनी से उनकी रातें कटती है।
हालांकि चेनारी के पूर्व विधायक ललन पासवान के अथक प्रयास से कैमूर पहाड़ी के सैकड़ो गांवों में सोलर प्लेट के माध्यम से बिजली पहुंचाई गई। लेकिन कंपनी का एग्रीमेंट समाप्त होते हीं इन गांवों में फिर से बिजली गुल हो गई। अपने कार्यकाल के दौरान विधायक ललन पासवान ने विधानसभा से लेकर बिजली विभाग एवं वन विभाग में भी गुहार लगाई। जिसके फलस्वरुप इन गांवों में सोलर प्लांट लगाए गए थे तथा वर्ष 2018 में रोहतास प्रखंड के रेहल गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ था। जहां कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कैमूर पहाड़ी के जिन गांवों में सोलर प्लांट के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही है उसे इलेक्ट्रिक में तब्दील किया जाएगा। लेकिन आज तक इन गांव में ना तो बिजली पहुंचाई गई और ना ही सोलर प्लेट के माध्यम से ही निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति की गई।
आदिवासी समाज से आने वाले रेहल गांव निवासी केश्वर उरांव बताते हैं कि सरकार द्वारा गांव में बिजली आपूर्ति के लिए सोलर प्लांट लगाया गया था। लेकिन इससे एक वर्ष भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाई। सोलर प्लांट बार-बार खराब हो जाता है तथा शिकायत करने के बाद भी कोई नहीं सुनता। हमारे पूर्वज भी अंधेरे में हीं रहते थे और आज हम लोग भी अंधेरे में ही अपना गुजर बसर कर रहे हैं।

वहीं सुरसतिया देवी बताती है कि सोलर प्लांट बहुत पहले ही खराब हो चुका है तथा इससे सभी घरों को भी बिजली नहीं मिलती थी। हमेशा अंधेरे में ही रहते हैं तथा सुखी लकड़ियां जलाकर काम चलता है।
वहीं पेयजल को लेकर जब रेहल गांव की महिलाओं से बात की गई तो सतिया देवी ने बताया कि पानी के लिए बहुत मारामारी है। कई किलोमीटर दूर जाकर पीने के लिए पानी लाना पड़ता है जिसमे घंटों लग जाते हैं।हालांकि इस संदर्भ में चेनारी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे ललन पासवान से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जहां तक विकास का सवाल है रोहतास और कैमूर जिले के तकरीबन 250 गांव आज भी गुलामी व खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं। ना बिजली है न सड़क है ना पीने का पानी है न दवाई है सभी चीजों से यहां के लोग महरूम हैं। पहली बार मेरे प्रयास से यहां सोलर प्लांट लगवाया गया लेकिन एग्रीमेंट खत्म होते हीं वह भी खत्म हो गया। मैं जब विधायक था तो विधानसभा में तसला लेकर गया और मुख्यमंत्री को बताया कि यहां के लोग चुहाडी से पानी पीते हैं। भारत में इस तरह का कोई ऐसा जगह नहीं होगा जो इतना अविकसित और गुलाम होगा। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ पूरी सरकार यहां आई लेकिन सिर्फ झूठे वादे किए गए।

बता दें कि सासाराम लोकसभा क्षेत्र से कई सांसद जीतकर सरकार में आए तथा केंद्रीय मंत्री भी रहे। वर्ष 2009 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार में लोकसभा की स्पीकर बनी मीरा कुमार भी सासाराम लोकसभा क्षेत्र से हीं जीतकर गई। लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के ढाई सौ गांवों की किसी ने सुध नहीं ली। पिछले दो बार से भाजपा सांसद छेदी पासवान ने भी इन गांवों का दौरा कर कई वादे किए। लेकिन सरकार में रहने के बावजूद भी पेयजल, बिजली, सड़क आदि समस्याओं के निदान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। जिससे यहां के लोगों का अब जनप्रतिनिधियों पर से भरोसा भी उठता जा रहा है।

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