मनरेगा में भ्रष्टाचार का बोल-बाला,शिकायत के बावजूद नहीं होती है जांच,मायूस हो रहे शिकायतकर्ता
संतोष कुमार।
प्रखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना गरीबों और मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय भ्रष्टाचार व कमीशन खोरी की भेंट चढ़ रही है।प्रखंड में कुछ पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से पात्र लोगों को योजना का लाभ न देकर लाखों रुपए का वारा-न्यारा किया जा रहा है।यह मामला प्रखण्ड क्षेत्र के किसी एक पंचायत का नहीं बल्कि लगभग सभी पंचायत इससे ग्रसित हैं।वहीं पदाधिकारियों से शिकायत के बावजूद जांच नहीं होने से भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ते जा रहा है एवं शिकायतकर्ताएं मायूस हो रहे हैं।ताजा मामला मनरेगा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान एक ही माह में पंचायत समिति से 676410 रुपया एवं ग्राम पंचायत मुरहेना से 492240 रुपया बिना कार्य के हड़प लिया गया है।वित्तीय वर्ष 2022-23 में मनरेगा योजना में पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत से एक ही कार्य को अलग-अलग वर्क कोड देकर एक ही माह में दोनों मिलकर 1168650 रुपया निकाल लिया गया है और स्थल पर कुछ भी कार्य दिखाई नहीं देता है।भ्र्ष्टाचारियों द्वारा पंचायत समिति से कार्य का नाम ग्राम भूपतपुर में कजरी पइन की सफाई कार्य में दिनांक 5 जून 2022 से 30 मार्च 2023 तक राशि निकाली गई है।वहीं ग्राम पंचायत के योजना से दो योजना बनाकर योजना संख्या एक ग्राम भूपतपुर में शिव महतो की मशीन से कजरी पइन की सफाई योजना संख्या दो ग्राम भूपतपुर में शिव महतो के मशीन से राम बागी तक कजरी पइन की सफाई दोनों योजनाओं में दिनांक 28 मार्च 2022 से 1 अगस्त 2022 तक 492240 रुपया निकाल लिया गया है।पंचायत समिति फंड एवं ग्राम पंचायत फंड दोनों मिलकर 1168650 रुपया निकल गया है। लेकिन जमीन पर कार्य कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है।इसकी जांच एवं कार्रवाई करने के लिए शिकायतकर्ता बिंदा प्रसाद निराला के द्वारा निदेशक लेखा प्रशासन नवादा,जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा नवादा एवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा रजौली को किया गया है।
जॉब कार्ड में हो रहे गोलमाल से मजदूर कर रहे पलायन
प्रखण्ड के सभी 15 पंचायतों में मनरेगा के द्वारा किये गए कार्य मे बहुत ही अनियमितता बरती जाती है।सेठ साहूकारों का जॉब कार्ड बना हुआ है।वहीं कम मजदूरी देकर कम पढ़े लिखे अथवा अनपढ़ लोगों से काम लिया जा रहा है।लोगों की मानें तो बगैर योजना को खोले या फिर बिना सूचना पट लगाए पूरे प्रखंड क्षेत्र में रात के बजाय दिन में ही जेसीबी मशीन के उपयोग कर कार्य की जा रही है।जब कार्य समाप्ति तक पहुंचने की होती है तो मनरेगा के जॉब कार्डधारी मजदूरों को लगाकर योजना खोल कार्य की समाप्ति दिखा कर रूपये की बंदरबांट कर लिया जाती है।ऐसा नहीं है कि स्थानीय अधिकारी से लेकर वरीय अधिकारियों की इसकी जानकारी नहीं है।जानकारी ही नहीं उनके पास शिकायत भी लोगों के द्वारा किया जा रहा है।बावजूद मनरेगा के भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।कई बार तो स्थानीय लोगों के द्वारा जेसीबी मशीन की खुदाई का वीडियो एवं पूर्व में रहे मनरेगा पीओ से संबंधित बातचीत का वीडियो वायरल कर लोगों का जगाने की भी कोशिश की गई थी।लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत यहां चरितार्थ हुई।कहीं भी शिकायत करें,मनरेगा का भ्रष्टाचार खत्म नहीं होने का नाम ले रहा है।जिससे 100 दिनों का महात्मा गांधी रोजगार योजना गारंटी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है और मजदूर मजबूरन अपने क्षेत्र से पलायन कर दूसरे राज्यों में कार्य ढूंढने जा रहे हैं।
क्या कहते हैं पदाधिकारी-
इस बाबत पर मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज त्रिवेदी से दूरभाष के माध्यम से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने सारी बातों को सुनने के बाद खुद को व्यस्त बताते हुए बाद में बात करने की बात कहकर कॉल कट कर दिया।