स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्र सिंह खासकर ग्रामीण यूवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत एवं हमें भारी क्षति हुई है- जिलाधिकारी

धीरज ।

स्वतंत्रता सेनानी के निधन पर मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किए.
गया।देश के आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र प्रसाद सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। वे गया के वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय के निकट अवस्थित पैतृक गांव मीरगंज में अपने आवास पर सुबह सात बजे बजे अंतिम सांस लिए।
उनकी उम्र एक सौ वर्ष थी। उनके निधन पर वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र के गांव- गांव में पूरे दिन मातम पसरा रहा है । उनकी मौत की सूचना पर जिला प्रशासन की ओर से सदर एसडीओ राजेश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी रवि शंकर कुमार, अंचल अधिकारी पुरुषोत्तम कुमार भी घर पहुंचकर उनका अंतिम दर्शन करते हुए श्रद्धांजलि दी गई है।
इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दूरभाष पर उनके पुत्र उमेश प्रसाद सिंह से बात कर संवेदना प्रकट करते हुए सांत्वना दी तथा पूरे परिवार को भविष्य में नियमानुसार सभी प्रकार के आवश्यक सरकारी सहयोग देते रहने का आश्वासन दिया गया है। फिर पूरे दिन उनका पार्थिव शरीर निजी आवास पर शुभचिंतकों के दर्शनार्थ रखा रहा, जहां जिले भर से लोगों के आने-जाने और श्रद्धांजलि देने का ताता लगा रहा। अंत्येष्टि के लिए अपराहन चार बजे शव यात्रा निकाली गई जिसे उनके कर्मस्थली रहे श्री रामानुग्रह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से प्रखंड मुख्यालय होते हुए वजीरगंज बाजार में भ्रमण कराया गया।फिर गांव के श्मशान घाट पर संध्या पांच बजे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। अंत्येष्टि के मौके पर जिला पदाधिकारी डा त्यागराजन एस एम एवं वरीय पुलिस अधीक्षक आशीष भारती के नेतृत्व में उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से जिला पदाधिकारी ने स्वतंत्रता सेनानी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र समर्पित किया है। इसके साथ ही जिला पदाधिकारी ने जिला पदाधिकारी के नाम का भी पुष्प चक्र अर्पित किया इसके पश्चात वरीय पुलिस अधीक्षक ने पुष्प चक्र अर्पित किया गया है।
उनके शव यात्रा एवं अंत्येष्टि में पूरे प्रखंड क्षेत्र के तमाम राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित जिले भर के कोने-कोने से भारी संख्या में शुभचिंतकों ने भाग लिया है। शव यात्रा में तिरंगे के साथ चल रहे युवाओं में गम के साथ आन बान और शान भी दिख रहा था। वे खुद को इनके अंतिम विदाई देते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि अपने धरती से निकले आजादी के एक दीवाने को उन्हें कंधा देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आगे यह भी बता दें कि राजेंद्र प्रसाद सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ कुशल शिक्षक भी थे। वे अपने गांव में रामानुग्रह उच्च विद्यालय के संस्थापक सदस्य एवं प्रधानाध्यापक भी रह चुके हैं। वे अपने आवास पर गुरुकुल की परंपरा का निर्वहन करते हुए सैकड़ों जरूरतमंद विद्यार्थियों को विद्यालय के बाद रात की पढ़ाई भी कराते रहे। उनका जन्म 8 मार्च 1923 को गया के मीरगंज में हुआ था ।वे महज पंद्रह वर्ष की उम्र में दसवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में कूद पड़े थे। वे उस समय गया के टी मॉडल स्कूल के विद्यार्थी थे।जहां के शिक्षक कैलाश बाबू की प्रेरणा से उनके ही दिशा निर्देशन में लड़ाई में शामिल हुए थे।
जिला पदाधिकारी डा त्यागराजन एसएम ने उनके प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि वे हमारे देश और खासकर ग्रामीण यूवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत थे ।उनके निधन से हमे भारी क्षति हुई है, हमारे बीच से एक जलता हुआ वैसा दीपक बुझ गया है जिससे हमें सफल जीवन की रोशनी मिल रही थी।परंतु युवा वर्ग उनके आचरण का अनुकरण करते हुए देश की सेवा में ईमानदारी और निष्ठा के साथ समर्पित होकर देश की सेवा में लगे रहें तो उनके सपनों को साकार करते हुए उनकी कमी को पूरा किया जा सकता है ।

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