सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए करना होगा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन,जाने विधि

संतोष कुमार।

मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में ओपीडी में इलाज करवाने के लिए पहुंचने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को रजिस्ट्रेशन करवाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।अस्पताल में संचालित ओपीडी में प्रतिदिन 300 से भी अधिक मरीज अपना इलाज करवाने प्रखण्ड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से आते हैं।जिनमें अधिकांश लोगों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं होता है।नई व्यवस्था में पहली बार इलाज कराने आये मरीजों एवं उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के चक्कर में भीड़ को देखकर कई मरीज लगातार दो-तीन अस्पताल में इलाज कराने को लेकर चक्कर काटते दिखाई दिए।रजौली निवासी संध्या कुमारी ने बताई कि वह तीन दिनों से अपनी बेटी के इलाज के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रही हैं।अंततः बुधवार को एक स्वास्थ्यकर्मी से मदद मिलने के बाद वे अपनी बेटी जानवी कुमारी का इलाज करवा पाई हैं।उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के कारण लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

क्या थी पुरानी व्यवस्था-

अनुमंडलीय अस्पताल में ओपीडी में इलाज करवाने वाले मरीजों को सबसे पहले ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता था।रजिस्ट्रेशन काउंटर पर तैनात कर्मी द्वारा मरीजों को पर्ची दिया जाता था।मरीज उस पर्ची को ओपीडी में रहे चिकित्सकों के पास ले जाते थे।चिकित्सक मरीज के पर्ची पर मरीज से जरूरी पूछताछ के बाद पैथोलॉजी जांच लिखा करते थे।जिसके बाद मरीज जांच के लिए अस्पताल में बने पैथोलॉजी कक्ष में पर्ची लेकर जाते थे,जहां उनका जांच के बाद पर्ची पर रिपोर्ट लिखा जाता था।जांच के आधार पर चिकित्सक दवाई लिखा करते थे।दवाई लिखे पर्चे को दवाई वितरण काउंटर पर जाकर मरीज दवाई लेकर घर आ जाय करते थे।

क्या है वर्तमान व्यवस्था –

बीते एक सप्ताह से ओपीडी में आने वाले मरीजों के पास एंड्रॉयड मोबाइल का होना आवश्यक है।मरीज अथवा परिजन के एंड्रॉयड मोबाइल में आभा एप को डाऊनलोड करने कहा जायेगा।उसके बाद मरीज अपना डिटेल्स एप के माध्यम से भरकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवायेंगे।मरीजों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक टोकन नम्बर मिलेगा।उस टोकन नम्बर को लेकर ओपीडी में बैठे चिकित्सक को दिखाने पर चिकित्सक अपने पास रहे लैपटॉप में टोकन नम्बर के आधार पर आपके द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का पेज खोलेंगे।उसके बाद चिकित्सक आपसे आपकी परेशानियों को पूछकर आवश्यक पैथोलॉजी जांच लिखेंगे।फिर आपको जांच के लिए पैथोलॉजी कक्ष अथवा एक्सरे कक्ष जाना होगा।जहां चिकित्सक द्वारा ऑनलाइन जांच का विवरण पहले से ही उनके कम्प्यूटर में रहेगा।पैथोलॉजी कक्ष द्वारा जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन चिकित्सक के कम्प्यूटर में भेज दिया जाएगा।फिर मरीज अथवा परिजन चिकित्सक से मिलेंगे और उसके बाद चिकित्सक रिपोर्ट के आधार पर कम्प्यूटर पर दवाई लिखेंगे।फिर मरीज को दवा वितरण कक्ष पर जाना होगा और अंततः उन्हें वहां से दवाई मिलेगी,जिसके बाद मरीज घर जा सकेंगे।

क्या कहते हैं प्रभारी डीएस-

अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि पहले लोगों को लंबी लाइन में खड़े रहकर अपना पर्ची कटवाना पड़ता था।बीते एक सप्ताह से अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है।जानकारी नहीं रहने के कारण शुरुआत में लोगों थोड़ी परेशानी हो रही है।वहीं जिन लोगों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है,उनलोगों का रजिस्ट्रेशन ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर किया जा रहा है।ताकि उन्हें इलाज करवाने में कोई परेशानी न हो।साथ ही बताया कि लोग अपने घरों से एप के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और अस्पताल आकर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद मरीज को टोकन नम्बर मिल जाएगा।फिर मरीज सुगमतापूर्वक अपना इलाज करवा सकेंगे।साथ ही प्रभारी डीएस ने कहा कि लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए अस्पताल में महिला एवं पुरुष टेक्नीशियन की तैनाती किया जा रहा है।उन्होंने सम्भावना जताई कि आनेवाले समय में लोग जागरूक हो जाएंगे,तो उनकी परेशानियों का स्वतः निदान हो जाएगा।