सर्वोच्च न्यायालय के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का निर्णय स्वागत योग्य : धर्मशीला गुप्ता

विशाल वैभव ।

कानून और संविधान का सम्मान हर जगह : धर्मशीला गुप्ता

पटना। राज्यसभा सांसद सह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष धर्मशीला गुप्ता ने कहा कि 10 जुलाई को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसमे स्पष्ट रूप से कहा गया है कि तलाक़शुदा महिलाओं का भरण-पोषण दान नहीं बल्कि हर शादीशुदा महिला का अधिकार है चाहे वे किसी भी धर्म की हों।न्यायालय के इस फैसले का भाजपा महिला मोर्चा, बिहार प्रदेश स्वागत करता है। चौधरी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के हित में आए इस फैसले से यह भी सिद्ध हुआ है कि न्यायालय चाहे कोई भी हो कानून और संविधान का सम्मान देश में हर जगह है क्योंकि इस फैसले से जुड़े मुकदमे में निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्मायालय तक लगभग एक समान निर्णय हुआ है।

यहाँ पर यह याद करना महत्वपूर्ण है कि आज भाजपा पर संविधान बदलने का खोखला आरोप लगाने वाली काँग्रेस पार्टी ने प्रचंड बहुमत से अंधे होकर सन 1986 मे माननीय सर्वोच्च न्मायालय के फैसले को संसद में अपनी विधायी शक्ति से पलट दिया था।देश की मुस्लिम महिलाओं को याद होगा कि एक बुजुर्ग तलाक़शुदा महिला शाहबानों को गुजारा भत्ता नहीं देने के लिए पूरी काँग्रेस पार्टी और पूरी सरकार एकजुट हो गई थी। महिलाओं के प्रति अन्याय के मामले में पूरी ‘इंडी’ जमात की सभी पार्टियों की आपस में होड़ लगी है।

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी के पुत्र और बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप के ऊपर कुछ दिन पूर्व ही अपनी पत्नी के साथ प्रचंड दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप लगे थे। एक महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएँ रोज नया कीर्तिमान बना रही है।

दूसरी ओर, इस फैसले को गौर से देखने पर यह सिद्ध होता है कि केंद्र की मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए तीन तलाक को समाप्त करने जैसे फैसले लिए न्झायालय का यह फैसला उसी की अगली कड़ी है। इसके साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार बिना किसी भेद भाव के सभी वर्गों के लोगों के लिए एक समान नीतियाँ और नियम बनाती है और और बिना किसी पूर्वाग्रह के उसे लागू करती है।भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा, बिहार प्रदेश और राज्य की सभी महिलाओं की ओर से मैं माननीय सर्वोच्च न्मायालय को धन्मवाद देती हूँ और इस फैसले का स्वागत करती हूँ।