खेतो में तेजी से जलाई जा रही है पराली। जानवरो के चारा होता जा रहा है समाप्त।

चंदन कुमार,

शेरघाटी।सरकार के द्वारा पूर्ण तरीके से परली जलाए जाने से रोक लगाने के बावजूद भी किसान अपने-अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं,
ऐसे में माना जाए तो खेतों में पराली जलाए जाने से खेत की उर्वरा शक्ति काम जाती है, और खेतों में उर्वरा शक्ति करने से उत्पादन करने में काफी समस्या होती है,ऐसे ही शेरघाटी प्रखंड क्षेत्र के पलकिया, नवादा बी टी बीघा अफजलपुर समेत तमाम ग्रामीण इलाके में जोर-जोर से परली जलाये जाने का सिलसिला जोर सोर से की जा रही है,
जिससे प्रदूषण के खतरे के साथ-साथ जानवरो के खाने के चारा पर गहरा असर पड़ रहा है,
ऐसे में देखा जाए तो प्रदूषण के खतरे से बचने के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत तमाम शहरों में पराली जलाए जाने पर रोक लगा दी गई है,
लेकिन शेरघाटी प्रखंड के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में काफी तेजी से परली जलाई जा रही है,
जिससे खेतों में उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है और खेत में उपज की कमी हो जाती है जिससे किसान काफी हताहत भी होते हैं,
हालांकि इस बात को लेकर कई बार इसकी शिकायत स्थानीय लोगो ने प्रखंड कृषि पदाधिकारी से किया लेकिन प्रखंड कृषि पदाधिकारी केवल आश्वासन देते नजर आए न कि उसकी जांच करवाई गई और नही कोई करवाई हुई।
ऐसे में किसान दोपहर हो या रात दिन भर किसान अपने खेतों में पराली जलाते ही नजर आते हैं,
जिससे काफी नुकसान होता दिख रहा है और प्रदूषण का खतरा भी काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है,
दूसरी तरफ जानवरों के चारा में भी काफी कमी होती जा रही है,
ऐसे में लगातार परली जलाए जाने के सिलसिला पर रोक लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन को इस पर कड़ी नजर रखनी होगी ताकि प्रदूषण के खतरे से आमजन बच सके और उनकी खेती भी बच सके ऐसे में सरकार के द्वारा किसानों को ₹6000 खेती के नाम पर दी जा रही है लेकिन उसका कुछ भी फायदा नहीं दिखाई दे रहा है वही कृषि विभाग के द्वारा किसानों को खेत में पराली जलाए जाने का नुकसान के अलावा कई चीजों का भी नुक्कड़ के माध्यम से एवं घर-घर जाकर सभा कर बताई जाती है फिर भी किसान परली जलाए जाने से बात नहीं आ रहे हैं।