उपेंद्र कुशवाहा का काराकाट में बड़ा इम्तिहान, पवन सिंह के आने से रोचक हुआ मुकाबला

दिवाकर तिवारी ।

सासाराम। सोन नदी की लहरों की तरह काराकाट लोकसभा क्षेत्र के चुनावी महासंग्राम में भी खूब हलचल देखने को मिल रही है। भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद काराकाट लोक सभा क्षेत्र बिहार का सबसे हॉट सीट बन गया है तथा अंतिम चरण में होने वाले चुनाव के लिए सभी प्रत्याशियों ने अपना-अपना जनसंपर्क अभियान भी तेज कर दिया है। हालांकि पवन सिंह ने अभी तक काराकाट क्षेत्र में अपना कदम नहीं रखा है लेकिन उनके चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ हीं एनडीए एवं महागठबंधन के प्रत्याशीयों की बेचैनी बढ़ गई है। एनडीए गठबंधन में शामिल रालोजद सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा यहां से चुनाव लड़ रहे हैं वहीं महागठबंधन की ओर से माले नेता राजाराम कुशवाहा अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वर्ष 2008 में लागू नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोक सभा क्षेत्र में अब तक तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और चौथे लोकसभा चुनाव की बारी है। जिसमें उपेंद्र कुशवाहा को एक बार जीत तो एक बार हार नसीब हुई है। जबकि महागठबंधन को इस सीट से एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है। इधर रालोजद को एनडीए गठबंधन में काराकाट के रूप में मात्र एक ही सीट मिली है।

जिसके कारण उपेंद्र कुशवाहा के लिए काराकाट लोक सभा सीट काफी खास माना जा रहा था। लेकिन पवन सिंह के ऐलान के बाद अब काराकाट बिहार का सबसे हॉट सीट बन गया है और रालोजद सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के लिए यह सीट निकालना एक कड़े इम्तिहान से कम नहीं है। साथ हीं कुशवाहा जाति का प्रतिनिधित्व कर रहे उपेंद्र कुशवाहा को अपने गिरते जनाधार को पुनः हासिल करना भी चुनौती पूर्ण प्रतीत हो रहा है। यादव और कुशवाहा बाहुल्य क्षेत्र में सवर्ण एवं मुस्लिम वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है। लेकिन अब तक तीनों लोक सभा चुनाव में कुशवाहा जाति के नेताओं ने ही जीत दर्ज की है और इस बार दो कुशवाहा नेताओं के बीच होने वाले चुनावी दंगल को पवन सिंह ने और रोचक बना दिया है।
बता दें कि रोहतास एवं औरंगाबाद जिले को बांटने वाली सोन नदी काराकाट लोकसभा क्षेत्र के भी बीचोंबीच बहती है। इस लोकसभा क्षेत्र में रोहतास जिले का डेहरी, नोखा एवं काराकाट विधानसभा आता है। जबकि औरंगाबाद जिले का नवीनगर, गोह एवं ओबरा विधानसभा आता है। बिहार के युवा दिलों की धड़कन भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह ने काराकाट की लड़ाई को काफी दिलचस्प बना दिया है, क्योंकि हर जाति धर्म के वोटरों खासकर युवाओं पर इनका खुमार सर चढ़कर बोलता है। एक तरफ सभी दल काराकाट के विकास की बातें कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पवन सिंह अपने चाहने वालों के भरोसे चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। जिससे काराकाट की लड़ाई त्रिकोणीय दिखाई पड़ती है। ऐसे में देखना रोचक होगा कि काराकाट क्षेत्र की जनता किसे अपना नेता चुनती है।