पुराने विकलांग अनुराग और संतोष जैसे खिलाड़ी को नियुक्ति में नजर अंदाज कर रही हैं बिहार सरकार

NEWS MANCH BUREAU.

पटना, विकलांग खिलाड़ी न्याय की गुहार लगा रहे बिहार सरकार से नियुक्ति नियमावली में संशोधन की उठाई मांग कर रहे हैं। पारा एथलीट अनुराग चंद्रा और संतोष कुमार ने बिहार सरकार के खिलाड़ी नियुक्ति नियमावली में संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि नई नियमावली में सरकार ने खिलाड़ियों की उम्र सीमा तो हटा दी है मगर मेडल जीतने की समयावधि तय कर दी है।नई नियमावली के मुताबिक 2017 से पहले पदक जीतने वाले खिलाड़ी नौकरी के लिए आवेदन के योग्य नहीं हैं। अनुराग चन्द्र ग्राम वाली, पोस्ट अलावलपुर, थाना गौरीचक पटना के रहने वाले हैं।पारा एथलीट अनुराग चंद्रा खिलाड़ी का कहना है कि जब उम्र की समय सीमा हटा दी गयी है तो मेडल जीतने की समयावधि भी हटनी चाहिए। 2017 से पहले पदक जीतने वाली खिलाड़ियों को भी आवेदन का मौका मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों ने इस मामले को कला, संस्कृति एवं युवा विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सामने कई बार उठाया पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।विकलांग खिलाड़ियों की नजरअंदाज कर बिहार सरकार सामान्य खिलाड़ियों को नौकरी दे रही जबकि अनुराग और संतोष जैसे विकलांग खिलाड़ियों को के साथ अन्याय कर रही अनुराग 2008 से राज्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते रहे अब तक अनुराग ने अब तक विभिन्न खेलों में कुल राष्टीय स्तर पर कई पदक विजेता रहे और कुल राष्ट्रीय, राज्य प्रमंडल जिला में कुल 49 पदक अपने नाम किया है. बिहार सरकार की उपेक्षा के बावजूद अनुराग न सिर्फ संघर्ष करते हैमन में अगर कुछ कर गुजरने का जूनून हो तो फिर मुश्किलें चाहे जैसी भी हो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही जज्बा पटना में रहने वाले अनुराग चंद्रा के अंदर है। यूं तो अनुराग जन्म से विकलांग हैं लेकिन हमेशा कुछ नया और अलग करने की आग इनके अन्दर धधकती रहती है। तभी तो पैरों में निर्बलता रहने के बावजूद अब तक कई साहसिक यात्रा कर चुके हैं। अद्भुत इच्छा शक्ति के धनी अनुराग ने दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है। अपने मजबूत इरादों से ये हर रोज सफलता की नयी इबारत लिख रहे हैं।

अपने अनूठे साहस से देशभर में राज्य का नाम रोशन करने वाले इस साहसिक खिलाड़ी को उनके साथी खिलाड़ी संतोष कुमार मिश्रा के साथ अनुराग चन्द्र को खेल दिवस के कई मौके पर दोनों दिव्यांग खिलाड़ियों को सम्मान मिला है।बिहार के युवाओं के लिए आइकॉन बन चुके इस दिव्यांग खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन इन्हें साहसिक यात्राएं करने का काफी शौक है। यहीं कारण है कि इसमें उन्होंने अपनी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया। बल्कि अपनी ट्राई साइकिल से ही कई दुर्गम रास्तों को पार किया। साल 2015 में इंडिया गेट से लेह तक 1267 किलोमीटर का सफर करके अनुराग ने नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. अभी तक यह रिकॉर्ड नेपाल के एक दिव्यांग खिलाड़ी के पास था, जिसने 450 किलोमीटर का सफर तय किया था। अनुराग ने अपनी ट्राई साइकिल से यह यात्रा सिर्फ 21 दिनों में पूरा किया। वर्ष 2017 में अनुराग ने दानापुर से सियाचिन ग्लेशियर की तीन हजार किलोमीटर के दुर्गम रास्तों को तय किया. जहां इन्होने सबसे ऊंची चोटी खरुन्दला टॉप को पार कर सियाचिन ग्लेशियर को भी अपने पैरों से नाप दिया।दिव्यांग खेल क्षेत्र में भी अनुराग चंद्रा एक जाना पहचाना नाम है। इन्होने एथलेटिक्स, बैडमिंटन, वॉलीबॉल तैराकी, सिटींग फुटबाल, योग, बॉडी डांस, शतरंज, क्रिकेट सहित कई खेलों में अपना परचम लहराया है।

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