गया कॉलेज द्वारा विभाग की पत्रिका ज्ञान-वर्तिका-2 का लोकार्पण सह-संगोष्ठी का आयोजन

धीरज ।

गया।हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग गया कॉलेज गया द्वारा विभाग की पत्रिका ज्ञान-वर्तिका-2 का लोकार्पण सह-संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था “इक्कीसवीं सदी का बदलता हिन्दी साहित्य” कार्यक्रम की शुरुआत इस कार्यक्रम के संरक्षक मगध विश्वविद्यालय क कुलपति प्रोफेसर शशि प्रताप शाही, गया कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीपक कुमार, मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. आनंद कुमार सिंह, मुख्य अतिथि एवं वक्ता, चर्चित कथाकार, हंस पत्रिका के संपादक संजय सहाय, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. अभय नारायण सिंह, डॉ. सोनू अन्नपूर्णा आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की। अपने संबोधन में कुलपति ने ज्ञान-वर्तिका के दूसरे अंक के विमोचन पर हिन्दी विभाग को बधाई दी और विभागीय टीम के कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की है उन्होंने छात्रों को संपादक बनाए जाने और ज्ञान-वर्तिका की संपादक छात्रा ट्विंकल रक्षिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि ट्विंकल तो हमारे कॉलेज और विश्वविद्यालय की गौरव हैं। कुलपति ने कहा कि स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी आज हिंदी को राजभाषा का ही दर्जा प्राप्त है. जबकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए था। हिंदी को वह सम्मान नहीं मिल सका जो मिलना चाहिए था।डॉ. शाही ने कहा कि यदि हम हिंदी को हृदय से अंगीकार करते हैं तो हमारे राष्ट्र का संपूर्ण विकास संभव है। अर्थात भारत को विकासशील राष्ट्र बनाने का मार्ग हिंदी से ही प्रशस्त होता दिख रहा है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-20 में. विद्यालय एवं उच्च शिक्षा हेतु मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने के प्रावधानों की उन्होंने जोरदार वकालत की है. उन्होंने कई ऐसे राष्ट्रों की चर्चा की जो आकार और जनसंख्या में छोटे हैं परंतु अपने राष्ट्रभाषा के बदौलत आज संपूर्ण विश्व में अपना लोहा मनवा रहे हैं। इसराइल जापान और सोवियत रूस जैसे अन्य देशों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने मातृभाषा के अलावा और किसी भी दूसरी भाषा को कभी प्राथमिकता नहीं देते हैं। गया महाविद्यालय गया को बिहार का गौरव बताया और आने वाले दिनों में महाविद्यालय को नैक में अच्छे ग्रेड प्राप्त होने हेतु हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया. प्रधानाचार्य डॉ. दीपक कुमार ने हिन्दी दिवस की बधाई देते हुए हिन्दी विभाग के रचनात्मक कार्यों की प्रशंसा की गई है। मगध विश्वविद्यालय के वर्तमान परीक्षा नियंत्रक एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार सिंह ने छात्रों को सकारात्मक रहने और वर्ग में उपस्थित रहने तथा रचनात्मक बने रहने की सलाह दी है। प्रधानाचार्य से अनुरोध किया कि रचनात्मक रहने वाले विभाग को बढ़ – चढ़ कर सहयोग करें।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता चर्चित कहानीकार एवं हंस पत्रिका के सम्पादक संजय सहाय का व्याख्यान कई मायनों में अलग हट कर था। मुंशी प्रेमचन्द सभागार के नाम को सिर्फ ‘प्रेमचंद सभागार’ रखने का सुझाव दिया है। उनके अनुसार मुंशी के. एम. मुंशी का नाम है। प्रेमचंद का कलमी नाम प्रेमचंद है। उनके नाम में मुंशी नहीं है। के. एम. मुंशी के साथ एक पत्रिका के संयुक्त संपादन के कारण मुंशी और प्रेमचंद नाम संयुक्त रूप से जुड़ा था। राष्ट्र और देश शब्द की व्याख्या करते हुए उन्होंने राष्ट्र शब्द को देश की अपेक्षा संकुचित बताया है। राष्ट्रभाषा के सवाल पर उन्होंने कहा कि तमिल भाषियों के लिए तमिल राष्ट्रभाषा है। भारत बहुराष्ट्रीय देश है। इसलिए भी संविधान में हिन्दी के लिए राजभाषा का प्रयोग किया गया है। इक्कीसवीं सदी के साहित्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती है आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का आगमन। आने वाले समय में हिन्दी साहित्य समाज में आ रहे खुलेपन को भी चित्रित करेगा।
हिन्दी विभाग में उम्दा प्रदर्शन करने वाले 9 छात्र-छात्राओं को संजय सहाय के हाथों ‘ हिन्दी विभाग गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। इस कार्यक्रम में गया कॉलेज के लगभग सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापकगण तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की उपस्थिति रही है। इस कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनू अन्नपूर्णा ने किया है। वहीं मंच संचालन राहुल कुमार मिश्रा एवं ट्विंकल रक्षिता ने संयुक्त रूप से किया गया है। विभाग में समस्त शिक्षकगण की उपस्थिति रही है। विभाग के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ट्विंकल रक्षिता, दिव्या भारती, ज्ञानी कुमार, अतुल कुमार सिंह, संदीप कुमार, उत्तम कुमार, सुषमा स्वराज, शुभम कुमार, आयुष कुमार आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।