विपरीत परिस्थितियों में अंधविश्वास पाखंड से लड़कर महिला स्कूल की स्थापना की थी सावित्रीबाई फुले

मनोज कुमार ।
महात्मा ज्योतिबा फुले क्रांतिकारी संघ के बैनर तले बांके बाजार के डी के किड्जी स्कूल के प्रांगण में देश की प्रथम महिला शिक्षिका महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का पुण्यतिथि मनाया गया।
मौके पर महात्मा ज्योतिबा फुले क्रांतिकारी संघ के राष्ट्रीय संयोजक राजद के वरिष्ठ नेता विनय कुशवाहा ने माता सावित्रीबाई फुले के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया।
मौके पर विनय कुशवाहा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले देश की प्रथम महिला शिक्षिका के साथ-साथ महान समाज सुधारक थी। उन्होंने छुआछूत, जाती- पाती, ऊंच-नीच, बाल विवाह जैसे तमाम कुरीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लडी। उन्होंने विधवा विवाह को प्रोत्साहित कर समाज सुधार के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया।
महिलाओं एवं बच्चियों के पढ़ने के लिए देश में सबसे पहले महिला स्कूल का स्थापना किया एवं खुद पढ़ाना शुरू किया।
उस समय धर्म के ठेकेदारों ने सावित्रीबाई फुले पर तरह-तरह के अला्नक्षणा लगाया। लड़कियों को पढ़ाने के लिए स्कूल जाती थी तो समाज के ठेकेदारों ने इन पर गोबर मल मूत्र फेंका करते थे तरह-तरह से प्रताड़ित करते थे इतना अपमान सहने के बावजूद सावित्रीबाई फुले ने हार नहीं मानी। और बच्चियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और सफल रही। सावित्रीबाई फुले इतनी बहादुर महिला थी की पाखंड और अन्याय के खिलाफ अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर लड़ाई लड़ती रही और सफलता हासिल की।
विनय कुशवाहा ने कहा कि देश की महिलाओं को इनसे सीख लेकर पाखंड और अन्याय के खिलाफ निर्णायक लड़ाई को आगे बढ़ा कर जात पात छुआछूत ऊंच-नीच की भेद को खत्म करके नया राष्ट्र का निर्माण करें।
पुण्यतिथि के अवसर पर केंद्र सरकार से मांग किया गया की शैक्षिक पाठ्यक्रम में सावित्रीबाई फुले की जीवनी को शामिल किया जाए। के साथ पूरे देश में सावित्रीबाई फुले का जन्म दिवस एवं पुण्यतिथि राजकीय समारोह के साथ मनाया जाए। हर राज्य में सावित्रीबाई फुले के नाम से महिला विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाए ताकि देश की बेटियां पढ़ लिख कर और सशक्त एवं मजबूत बने।
मौके पर शशि भूषण सिंह, सुषमा वर्मा, बसन्त यादव, राकेश शर्मा, उपस्थित थे।