सरकार अगले दो तीन दिनों में फैसला कर ही लेगी वैसे इस पद के लिये डीजी स्तर के जिन पदाधिकारियों की जो चर्चा है

संजय वर्मा ।

बिहार के कड़क समझ कर डीजीपी बनाये गए राजविंदर सिंह भट्ठी अब सीआईएसएफबी के देश के डीजी बनाये गए उनका कार्यकाल 2 वर्ष का रहा पर इस कार्यकाल में विहार की विधि व्यवस्था कैसी रही यह छुपी नहीं रहीं कह सकते है बिहार में अपराधियों की बहार रही खैर उनके जाने के बाद डीजीपी का पद रिक्त हो गया ।सरकार अगले दो तीन दिनों में फैसला कर ही लेगी वैसे इस पद के लिये डीजी स्तर के जिन पदाधिकारियों की जो चर्चा है उनमें पुलिस निर्माण निगम के डीजीपी विनय कुमार शोभा ओहतकर आलोक राज इनमे वरियता के आधार को देखे तो आलोक राज दोनों पर भारी हैं पिछली बार ही आलोक राज डीजी बन जाते पर कुछ राजनीतिक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि वे पिछड़ गए और बाज़ी रजबिन्दर सिंह भट्ठी मार गए उनके बाद सीनियारिटी शोभा ओहतकर की आती है ।

जिनकी कार्यशैली ही इस पद के लिये सबसे बड़ी वाधा है उनके कार्यकाल में अधिकारियों से विवाद के भी अनेक कहानियां विकास वैभव के साथ का विवाद लोग भूले नहीं है विनय कुमार वरियता के मामले में तीसरे नम्बर पर हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के साथ अच्छी ट्यूनिग है बिहार के थानों का आधुनिकीकरण या कायाकल्प करने से लेकर पुलिस सुधार के लिये अनेक उल्लेखनीय कार्य भी किया है वैसे सीनियोरिटी के आधार पर चयन हुआ तो आलोक राज ही बनेंगे पर सिर्फ सीनियोरिटी ही आधार नही होता आगे पीछे सबकुछ देखना पड़ता है। सबसे बड़ी बात निष्ठा तौली जाती है फिर उनका मूल्यांकन भी किया जाता है कि सरकार के अपेक्षाओं के अनुरूप खड़े उतरेंगे भी नहीं ऐसे में विनय कुमार बिहार के अगले डीजीपी के रेस में सबसे आगे लगते हैं।

You may have missed