56 उपजातियों वाले वैश्य समाज के नाम पर न जाने कितने कागजी या पॉकेटिया संगठन है !

संजय वर्मा ।

56 उपजातियों वाले वैश्य समाज के नाम पर न जाने कितने कागजी या पॉकेटिया संगठन है कहना मुश्किल है इनका न कार्यालय न रजिस्ट्रेशन है फिर भी संगठन के स्वघोषित नेता बन बैठे है इन संगठनों में राष्ट्रीय से लेकर प्रांतीय पदाधिकारी भी बने होते हैं जबकि हकीकत उनकी यह कि उन्हें मुहल्ले वाले भी पहचानने से इनकार कर दें वो 5 आदमी भी नहीं जुटा सकते राष्ट्रीय प्रांतीय अध्यक्ष की हालत यही है अपवाद के तौर पर कुछ जमीनी संगठन हैं जो कुछ उपजातियों में ही सिमटी है वैश्य महासभा शुंडिक कलवार तो वैश्य महासम्मेलन कलवार अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन रौनियार वैश्य चेतना समिति तेली तक ही सीमित है संकीर्ण मानसिकता के कारण अन्य उपजातियों को कहीं कोई पदाधिकारी नही बनाया जाता यह कोई नई बात नही है यह बीते तीन दशक से चला आ रहा और संगठनों की यही संकीर्ण मानसिकता वैश्यों की अन्य उपजातियों को खटकती रहती है और वो इनसे जुड़ना नही चाहते जो अपनी उपजातियों का हित चाहते उस संगठन के किसी नेता को कोई समाज का सर्वमान्य नेता कैसे मान ले यही सबसे बड़ा सवाल है.

जो आज तक कोई समाज का लालू यादव नीतीश कुमार चिराग पासवान का ओहदा प्राप्त नहीं कर सका कागजी संगठनों के नेताओं पर सरसरी नजर दौड़ाए तो उन्होंने समाज का दोहन शोषण ही किया है चंदा का धंधा इनके खून में रचा बसा है राजनीतिक दलों से यह कहकर दल्लाली लेना कि समाज के पक्ष में वोट दिलवा दूंगा साहू समाज के एक नेता ने औरंगाबाद में यही किया तो कागजी संगठन के दर्जनों नेताओं ने लोकसभा चुनाव में खगड़िया के राजग उम्मीदवार राजेश वर्मा से अपनी अपनी उपजातियों का वोट दिलाने के नाम पर 50-50 हजार रु लिये शिवहर में राजद के विधायक ने राजद उम्मीदवार रितु जायसवाल को ही गच्चा दे दिया जो जानकारी है साहू समाज का वोट उन्हें न दिला 5 लाख रु का सूटकेस विरोधी पार्टी से लेकर नौ दो ग्यारह हो गए ऐसी कहानियों की लंबी फेहरिस्त है लब्बोलुआब यह कि वैश्यों के संगठन के नाम पर कुछ अपवाद छोड़ दें तो 90 परसेंट संगठन सिर्फ दल्लाली चंदे के धंधे और समाज का दोहन शोषण के लिये बने हैं जिनका कोई वजूद जमीन पर नही वो वैश्यों के साथ हत्या लूट अपहरण रंगदार या अन्य घटनाओं का जुझारू संघर्ष करना इनके बूते की नही और राजनीतिक हकमारी हो विधानसभा लोकसभा या कहीं इनकी हकमारी हो तो वो तोता बन जाते हैं।

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