पंचायतों में विवाह का पंजीकरण शुरू कराने की उठी मांग, बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए चलेगा अभियान

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DIWAKAR TIWARY.

सासाराम। रोहतास जिले को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने को लेकर आगामी 30 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया से एक वृहद अभियान की शुरुआत की जाएगी। बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता की कमी को देखते हुए इस अभियान में प्रशासनिक समन्वय के साथ-साथ मीडिया की सक्रिय भागीदारी, जनप्रतिनिधियों का सहयोग एवं सभी धर्म गुरुओं का संकल्प एक बड़ी ताकत है। जिसके लिए जिले के सभी धर्म गुरूओं को 30 अप्रैल 2025 को एक मंच पर लाकर अभियान को तेज करने का संकल्प लिया जाएगा। उक्त बातें कार्यक्रम निदेशक डॉक्टर रविंद्र ठाकुर ने सोमवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सभी धर्म गुरुओं के साथ-साथ हम सभी वैसे वैवाहिक उत्सव, जहाँ बाल विवाह हो रहा हो भाग नहीं लेने तथा बाल विवाह का किसी भी स्तर पर सहयोग और समर्थन नहीं करने का संकल्प लेंगे। जिससे कोई भी बच्चा कम उम्र में जबरदस्ती शादी के बोझ तले न दब सके।

बच्चों के अधिकार के लिए कार्यरत ‘सुराज’ की सोच है कि बाल विवाह सिर्फ एक गलत सामाजिक परम्परा नहीं, बल्कि भारतीय कानून के तहत एक बहुत बड़ा अपराध भी है। बाल विवाह बच्चों का बचपन छीन लेता है और शिक्षा व सेहत का बहुत बड़ा नुकसान होता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता लाना और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना है। बाल विवाह में शामिल बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित व मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। वैवाहिक कार्यक्रम का पुरोहित सबसे महत्वपूर्ण वर्ग होता है, जो विवाह संपन्न कराता है। हालांकि आज पंडित और मौलवी भी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं।वहीं उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले और बिहार सरकार के परिपत्र के आलोक में जिले में प्रत्येक विवाह का रजिस्ट्रेशन पंचायतों में तुरंत शुरू कराने और पंजी के संधारण की मांग भी रखी।