वैश्य समाज विधानसभा चुनाव में तेली उम्मीदवारो को हराकर सबक सिखाये
संजय वर्मा।
लोकसभा चुनाव में वैश्य उम्मीदवार को हराने के लिये जो कुकृत्य किया उससे वैश्य समाज की एकता पर सवालिया निशान लग गया है वैश्य समाज की सभी 56 जातियों में एक जाति तेली को निकाल बाहर करने की जरूरत अब हो गई है यह चतुरसुजान जाति खुद को समझने बुझने लगी है पहले ही सरकार ने एक बडी गलती करके तेली को अतिपिछड़ी जाति में शामिल कर दिया और तेली नौकरियों नगर निकायों में खूब लाभ ले रही है पर राजनीतिक हिस्सेदारी लेने के लिये लोकसभा विधानसभा में टिकट प्राप्त करना होता है तो ये वैश्य के नाम पर अग्रिम पंक्ति में खड़ी हो जाति इतिहास गवाह है कि तेली जाति वैश्य समाज की अन्य सभी जातियों के कीमत पर खुद का विधायक सांसद मंत्री सबकुछ बनाने में कामयाब हो जाता रहा पर वैश्य समाज की अन्य जातियां बढ़ न जाय इस नाम पर उसके कलेजे पर सांप लोट जाता है।
ताज़ा उदाहरण शिवहर लोकसभा चुनाव का नतीजा है तेली जाति ने राजद के वैश्य उम्मीदवार श्रीमती रितु जायसवाल को बिल्कुल वोट नहीं दिया जबकि वैश्य समाज की सभी अन्य जातियों ने पूरी एकजुटता गोलबंदी दिखाई एक एक मत रितु जायसवाल को दिया रितु जयसवाल महज 28 हजार मतों से चुनाव हारी इस हार का विलेन तेली और सिर्फ तेली रहा तेली के अड़ंगा डालने के कारण शिवहर में वैश्य उम्मीदवार रितु जीत तक पहुंच कर हार गई अब सवाल है कि तेली जाति को वैश्य समाज की अन्य जातियों का वोट या समर्थन में किस कीमत पर खड़ी होगी वैश्य समाज को संकल्पित हो यह निर्णय लेना चाहिए कि विधानसभा चुनाव में तेली जाति का कोई खाता न खुल सके इसकी तैयारी अभी से करना चाहिये मतलब पूरी तरह से सामाजिक राजनीतिक तिरस्कार वाहिष्कार करना होगा वो भी चुप नही बिल्कुल हल्ला बोल करना होगा यह किसी संगठन या किसी नेता के जरिये नहीं बल्कि बल्कि वैश्य समाज के सभी आम अवाम को लेना होगा इस कार्य को प्रचारित करने के लिये मीडिया में भी खुलकर बोलना चाहिये।