पत्रकार लोकतंत्र का रीढ होता है,पत्रकारों की मांगों पर अमल करने की जरूरत- सुशील कुमारसिंह

विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद (बिहार)- औरंगाबाद के अनुग्रह नारायण नगर भवन में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन संघ का राज्य स्तरीय सम्मेलन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह, कांग्रेस के स्थानीय विधायक शंकर सिंह, सहित अन्य गण्यमान लोगों ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत रूप से उद्घाटन किया. उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए औरंगाबाद के स्थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों को अपनी लेखनी के माध्यम से निष्पक्षता, तटस्था, निर्भीकता, पूर्वक रखने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी पत्रकार अपने कर्तव्यों को पालन करने में पीछे नहीं होते. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सुरक्षित है तभी लोकतंत्र मजबूत की कल्पना किया जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का रीढ है.

पत्रकारों की हर मांगों पर सरकार को अमल करने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि मुफस्सिल के पत्रकारों ने जिस तरह से कड़ी मेहनत के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करता है उस प्रकार से उनकी व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पता. ऐसी स्थिति में विचार करने की जरूरत है. इसी प्रकार स्थानीय कांग्रेस के विधायक शंकर सिंह ने कहा कि पत्रकार, घटना, दुर्घटना से लेकर हर परिस्थितियों में समाज मे फैली कुर्तियो को दूर करने का प्रयास करता है. ऐसे तो कई पत्रकारों ने भी अपने संगीत के माध्यम से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों को जोश एवं उमंग भरने पर धन्यवाद दिया. इसी तरह से दिल्ली, सहित अन्य राज्यों ,जिलों, प्रखंडों से आए हुए पत्रकारों ने भी समस्या को रखने का कार्य किया. वहीं वरिष्ठ पत्रकार कमल किशोर ने कहा कि पत्रकारों को कई मांगे हैं जिस पर स्थानीय विधायक एवं स्थानीय सांसद अपने प्रश्न काल में पत्रकारों की मांगों को उठाने का प्रयास करें. राज्य स्तरीय सम्मेलन में उपस्थित मुख्य अतिथियों को मोमेंटो एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. वहीं उपस्थित सभी पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रमेंद्र मिश्रा ने किया. कार्यक्रम में औरंगाबाद के सभी समस्त प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के अलावे राजनीतिक से जुड़े लोगों ने भी उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया .

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