” काव्य मंजरी ” ऑनलाइन चलने वाला काव्य सम्मेलन कार्यक्रम का पूरा हुआ दो वर्ष- गौतम कुमार सरगम
विश्वनाथ आनंद ।
गया (मगध बिहार)-“काव्य मंजरी” पटल पर प्रत्येक रविवार ऑनलाइन चलने वाले काव्य सम्मेलन कार्यक्रम लगभग 2 साल पूरा हो गया . बताते चलें कि 25 जून 2023 के संध्या 7:30 बजे 61वाँ कार्यक्रम का आगाज अपने शेरो शायरी से संचालन सुरेंद्र कुमार सिद्धार्थ के द्वारा किया गया .काव्य मंजरी ये संध्या अपने आप में विशेष था क्योंकि एक तरफ नए युवा प्रतिभाशाली रचनाकारों को सम्मान देती है, प्यार देती है ,तो दूसरी ओर वरिष्ठ कवियों को मुख्य अतिथि बनाकर उनसे प्रेरणाएं समेटकर छंद और बहर का ज्ञान अर्जन का काम भी करती है .नालंदा जिला के प्रसिद्ध हास्य कवि “रंजीत दुधू” जी को मुख्य अतिथि और समीक्षक बनाकर पटल पर स्थान दिया गया। इस मंच के अध्यक्ष गौतम कुमार सरगम ने अपनी प्रेम के मुक्तक”तुम हमेशा साथ होती तो अच्छा होता ,कुछ भी लेकिन बात होती तो अच्छा होता.कहते हुए मंच के मुख्य अतिथि रंजीत दुधू और लखनऊ से जुड़े विशिष्ट अतिथि “गुर्जर लखनवी” जी का स्वागत अभिनंदन और उनके रचनाओं के तारीफ करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया.
गीतों के इस संध्या पर शेखपुरा जिले के कवि अवनीश कुमार ने प्रेम के खूबसूरत गीत “चांद बनकर चमकना छत पर कभी”
गाकर शुरुआत बहुत अच्छे ढंग से किया। रेलवे में कार्यरत कवि नवीन चंचल जी ने राजनीति पर व्यंग गीत”नीति ज्ञान का पाठ पढ़ा कर है सिंहासन पाता”
जहानाबाद जिले से जुड़े कवि समुंदर सिंह ने “लगता है जैसे हमसे बादल रूठ गया”मार्मिक कविता पढ़ा। नवादा शहर के वीर रस के कवि नितेश कपूर जी ने “दिल को तसल्ली मिला जब इंकलाब लिखा” कविता पढ़कर सभी को देश प्रेम का एहसास दिलाया, शायर नादा रूपौबी ने
“मैं हंसने हंसाने आ गया”
बहुगुणा से सम्मानित कवि डॉक्टर शैलेंद्र प्रसुन ने धरती से और प्रकृति से जिस तरह मानव खिलवाड़ कर रहे हैं उस पर व्यंग कविता “लेकर उधारी वापस देने की बीमारी नहीं” गाकर मानव जाति को धरती के प्रति जो कर्तव्य है उसका एहसास दिलाया। कभी गुर्जर लखनवी ने राजनीति के वर्तमान परिदृश्य पर पंक्ति “बर्बाद इस चमन को नफरत ने कर दिया”गाकर सभी को भावविभोर कर दिया. प्रभाकर प्रभु जी की पंक्ति”भांग पीकर कोई शंकर ना हुआ”. संचालक सुरेंद्र कुमार सिद्धार्थ की खूबसूरत गीत “वो कहती है लगाती हूं अब हिंदी ना काजल मैं”अंत में समीक्षा से पहले रंजीत दूदू जी ने मगही हास्य व्यंग कविता “फैशन के हालत अखने हो गेल हे खस्ता, फटल जींस महंगा आए दादा जींस सस्ताहर कार्यक्रम की तरह यह कार्यक्रम भी प्रेरणा और उत्साह से भरा हुआ रहा लगभग संध्या 9:30 में कार्यक्रम की समाप्ति अध्यक्ष के धन्यवाद ज्ञापन के बाद हुआ.