अखंड सौभाग्य के लिये महिलाओं ने कि वट सावित्री की पूजा
अजय सिंह ।
सुपौल :–महिलाओं का अति महत्वपूर्ण पर्व बट -सावित्री पूजा आज सुपौल में भी काफी आस्था और भक्तिभाव से मनाया जा रहा है,पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प ,श्रद्धा एवं भक्ति से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए।
इसलिए महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद ही फलदायी माना जाता है।अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार जो व्रती सच्चे मन से इस व्रत को करती हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। इस व्रत के लिये माता सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, बरगद पेड़, लाल धागा, कलश, मिट्टी का दीपक, मौसमी फल, पूजा के लिए लाल कपड़े, सिंदूर-कुमकुम और रोली, प्रसाद, अक्षत, हल्दी,सोलह श्रृंगार की व्यवस्था कर बड़ के पेड़ के पास पूजा किया जाता है।
आज के दिन सुहागन महिलाएं पूरा श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। वट वृक्ष की जड़ में भगवान ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों, पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। महिलाएं इस दिन यम देवता की पूजा करती हैं।
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत करने का संकल्प लेंती है, फिर सोलह श्रृंगार करेके और सूर्य देव को जल का अर्घ्य देती है, फिर बांस की एक टोकरी में पूजा की सभी सामग्रियां रख वट वृक्ष के पास जाकर पूजा प्रारंभ करती है, पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा लपेट कर परिक्रमा करती है। इसके बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुनती है,उसके बाद महिलाएं घर आकर पति को प्रणाम कर आशीर्वाद लेती है।