2025 बिहार विधानसभा चुनाव में वैश्य समाज किस गठबंधन को वोट दे इसपर विचार करना अभी ही जरूरी है

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संजय वर्मा ।

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में वैश्य समाज किस गठबंधन को वोट दे और क्यों दे इसपर विचार करना अभी ही जरूरी है एक दृष्टि उन संगठनों पर जो समाज के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीतिक दुकानदारी करते है अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन अध्यक्ष पवन जायसवाल,अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन अध्यक्ष डॉ जगन्नाथ गुप्ता इन दो प्रमुख संगठनों के अलावा असंख्य संगठन जो कागजों पर है सभी भाजपा की सरपरस्त है जिनके लिए मोदी नाम केवलम जपना मजबूरी भी है और जरूरी भी है एक और संगठन है राष्ट्रीय वैश्य महासभा जिसके सर्वेसर्वा विधायक समीर महासेठ है यह संगठन मूलरूप से राजद के लिए काम करनेवाली समझी जाती इनके लिए लालू तेजस्वी रावड़ी नाम केवलम जपना जरूरी और मजबूरी भी है मतलब वैश्यों के हितों से ज्यादा इन संगठनों को समाज के नाम पर अपना और अपने दलों की चिंता ज्यादा है कह सकते है कि समाज की दुकानदारी करनेवाले अपना उल्लू सीधा करने के अलावा समाज के लिए अबतक क्या किया समझनेवाली बात है ।

यह आम धारणा है कि वैश्यों का ज्यादातर वोट भाजपा गठबंधन को जाता है जबकि हकीकत इससे दूर है समाज अपना हित देखकर ही वोट करती रही है वैश्यों को उसकी जनसंख्या के आधार पर सीटें देने की मांग की जाती रही है पर दोनों ही गठबंधनों द्वारा उपेक्षित ही किया जाता रहा वैश्यों के साथ भीखमंगा जैसा व्यवहार किया जाता है दोनों ही गठबंधन कुछ सीटें ही देती है पर इसका मुखालपट करने की औकात किसी भी संगठन से जुड़े नेताओं में नहीं है बस उनका टिकट पक्का भांड में जाए समाज समाज को खुद ही झंडाबरदार बनना पड़ेगा खुद ही नेतृत्वकर्ता बनना पड़ेगा संगठनों के शिखंडियों की ओर देखने की जगह एकजुट संगठित होकर ऐसा बातावरण निर्मित करना पड़ेगा जिससे दोनों गठबंधनों में हड़कंप मच जाए और जनसंख्या के आधार पर जितनी सीटें मिलनी चाहिए देने के लिए दोनों गठबंधनों को वाद्य होना पड़े यदि ऐसा नहीं होता है तो वैश्य समाज को अपने विवेक का इस्तेमाल करना होगा कि जिस किसी गठबंधन ने ज्यादा सीटें दी उसको वोट देने के लिए समाज को विचार करना होगा साथ ही जिस किसी भी दल से वैश्य को टिकट मिले उसको भी जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कसना पड़ेगा