चुनाव आयोग की शुचिता नष्ट करने पर उतारू मोदी सरकार -कॉंग्रेस

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मनोज कुमार,

बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद समद, उज्जवल कुमार, टिंकू गिरी, शिव कुमार चौरसिया, श्रीकांत शर्मा, अमरजीत कुमार, राम प्रवेश सिंह आदि ने कहा कि चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजानिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव करने को लेकर निर्वाचन आयोग की शुचिता को नष्ट करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के व्यवस्थित साजिश का हिस्सा है।
नेताओ ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा निर्वाचन आयोग की निष्ठा को जान बुझ कर खत्म किया जाना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है, सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सी सी टी वी कैमरा और बेबकास्टिंग फुटेज तथा उम्मीदवारों की वीडियों रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजानिक निरीक्षण को रोक दिया है।
नेताओ ने कहा कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधर पर केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजानिक निरीक्षण के लिए रखे गए कागजात या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंध करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया है।
नेताओ ने कहा कि चुनाव संचालन नियमों में मोदी सरकार का दुस्साहसीक संशोधन भारत के निर्वाचन आयोग की संस्थागत अखण्डता को नष्ट करने की उसकी व्यवस्थित साजिश के तहत किया गया एक और हमला है।
नेताओ ने कहा कि मोदी सरकार पहले भी प्रधान न्यायाधीश को उस चयन समिति से हटा दिया जो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करती थी अब वे उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को रोकने में लगे हैं।
नेताओ ने कहा कि निर्वाचन आयोग अर्ध न्यायायिक निकाय होने के बाबजूद स्वतंत्रत रूप से व्यवहार नहीं कर रहा है।