मगही और भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाये _ कॉंग्रेस
मनोज कुमार ।
बिहार, उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल तथा झारखंड राज्य के लोकप्रिय स्थानीय भाषा मगही एवं भोजपुरी करोड़ों लोगों के बोलचाल एवं लिखने- पढ़ने की भाषा है।बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद शमीम आलम, उज्ज्वल कुमार, आयुष सेठ, शिव कुमार चौरसिया, उदय शंकर पालित, अमित कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह, राजीव कुमार सिंह, आदि ने कहा कि बिहार सहित कई राज्यों के लोगों के लगातार मांग के बाद भी अभी तक मगही एवं भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।
नेताओं ने कहा कि देश में अभी 22 भाषायें संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल है, जिसमें सबसे अंतिम 2004 में यू पी ए सरकार के कार्यकाल में मैथिली, संथाली, डोगरी, बोडो को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था, उसके बाद मोदी सरकार के दस वर्षो के कार्यकाल में कोई भी भाषा संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।नेताओं ने कहा कि अभी मगही भाषा की पढ़ाई मगध विश्वविद्यालय में तथा भोजपुरी भाषा वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय में तथा 10 वीं तक स्कूल में पढ़ाई शुरू है, परंतु संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं होने के चलते राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता परिक्षा मे मगही एवं भोजपुरी भाषा शामिल नहीं है।नेताओं ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से देश के कई राज्यों के लोकप्रिय मगही और भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग किया है।