BJP के सम्राट क्या बन पायेंगे जनता के दिलों के सम्राट !
मंच ब्यूरो ।
पटना । बिहार में भाजपा के सिरमौर कहे जाने वाले सम्राट चौधरी ने खुद का कद इतना बढा लिया है कि अब वे अपने कद के सामने किसी को बङा होने नहीं देना चाहते । यही वजह है कि बिहार भाजपा में कई ऐसे नेता है जिनको अब सम्राट के नाम से भी चिढ होने लगी है।कभी राजद में लालू के लालटेन की लौ को तेज करने में लगे सम्राट फिलहाल भाजपा के कमल को बिहार में खिलाने में लगे तो हैं लेकिन सम्राट के नाम पर जनता की छोङीये इनके खुद के स्वजातीय भी भाजपा को वोट नहीं कर रहे हैं। बिहार के लगभग लोकसभा क्षेत्र में जब हमारी टीम घुमी तो कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार को अपना नेता बताया और हद तो तब हो गई जब मुंगेर में भी कुशवाहा बिरादरी के लोगों ने नीतीश को नेता बताया न की सम्राट चौधरी को । ऐसे में अव सवाल उठने लगे हैं की क्या भाजपा सिर्फ सम्राट के लंबे कद काठी और पैतरे के भ्रम में पङकर सम्राट पर दाव लगा दी है।
क्योंकी इस लोकसभा चुनाव में तो कम से कम सम्राट बिहार की जनता के दिलों के सम्राट तो नहीं बन पाये हैं और अब भाजपा शिर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश तक इस बात को समझने लगी है। हालांकी इस बात का अंदाजा उस समय हो गया था जब सम्राट ने अध्यक्ष बनते ही भाजपा के पूराने प्रवक्ताओं को हटाकर अपनी टीम के ऐसे लोगों को प्रवक्ता बनाया जिसे बिहार भाजपा में भी कई नेता नहीं जानते थे। अब जरा सोचिये की जब भाजपा के प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट ही जात पात और धर्म मजहब करने लगे तो आगे क्या होगा इसे सोचा जा सकता है। हालांकी सम्राट के लिये विकल्प खुले हैं भाजपा न सही तो फिर राजद और जदयू है ही लिहाजा सम्राट को इस बात की चिता नहीं है कि भाजपा अगर उन्हें हटाती है तो भी उनका राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रहेगा।