अंधकार में जीने को मजबूर हैं हरदिया के दर्जनों गांवों के लोग,भीषण गर्मी में जीना हुआ दुस्वार
संतोष कुमार ।
प्रखण्ड क्षेत्र समेत पूरे जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है।इस दौरान यदि बिजली कट जाती है,तो लोगों बेहाल होकर बिजली विभाग के कार्यालय से लेकर सहायक अभियंता समेत अन्य पदाधिकारियों के पास फोन करके बिजली कटने के कारण और कब तक बिजली मिलेगी यह जानने के लिए दूरभाष के माध्यम से जानने की कोशिश करने लग जाते हैं।वहीं प्रखण्ड के हरदिया पंचायत के फुलवरिया डैम के पास स्थित जमुनदाहा,नावाडीह,झराही,डेलवा,पिपरा,परतौनिया,झराही एवं चोरडीहा समेत दर्जनों गांवों में बीते कई वर्षों से बिजली आपूर्ति बाधित है।जिसके कारण लगभग हजारों घरों में 15000 लोग टेक्नोलॉजी के युग में भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।साथ ही भीषण गर्मी में भी उक्त गांवों के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।बिजली के कारण बच्चों की पढ़ाई एवं मोबाइल चार्ज करने में काफी परेशानी हो रही है।साथ ही भीषण गर्मी के वजह से बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की तबियत बिगड़ रही है।जिसका इलाज गांव के स्थानीय मेडिकल प्रैक्टिशनर करते हैं।अथवा ज्यादा तबियत बिगड़ने पर रजौली स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
क्या कहते हैं ग्रामीण –
1.नावाडीह के सकिन्द्र राम कहते हैं कि बीते दस वर्षों पूर्व गांव में सोलर प्लेट लगाया गया था,जो मात्र एक वर्ष ही सही रूप से कार्य किया।उसके बाद सोलर लाइट खराब हुआ है,जो अबतक खराब पड़ा हुआ है।गांव में दिन में तो चहल-पहल रहती है।किंतु जैसे ही शाम होता है,लोग घरों में दुबक कर बैठ जाते हैं।वहीं गांव के लोग लाइटों के लिए छोटे-छोटे चाइना सोलर लैम्प का उपयोग करते हैं,जो दो-तीन माह बाद खराब पड़ जाता है।जिसके कारण उन्हें पुनः नई चाइना लैम्प खरीदना पड़ता है।इसलिए लोग रात्रि का खाना दिन में ही बना लेते हैं,ताकि लाइट का कम से कम उपयोग हो और चाइना लाइट ज्यादा दिन तक चले।वहीं ग्रामीण को मोबाइल चार्ज करने के लिए बैटरी पर निर्भर रहना पड़ता है।जबकि कुछ ग्रामीण तो रजौली बाजार आकर मोबाइल चार्ज करते हैं।उन्होंने स्थानीय पदाधिकारी समेत जिलाधिकारी से बिजली मुहैया कराने की गुहार लगाई है।
2.जमुनदाहा गांव निवासी जितेंद्र सिंह कहते हैं कि फुलवरिया डैम के इस पार के लोगों के पास जीवन जीने के लिए किसी प्रकार का व्यवसाय नहीं है।इसलिए अधिकांश लोग जंगली जीवन जीने को मजबूर हैं।वहीं कुछ लोग जंगल में सूखे लकड़ियों को बेचकर जीवन जी रहे हैं,तो कुछ लोग रजौली आकर मजदूरी कर अपने परिजनों का पालन-पोषण कर रहे हैं।साथ ही कहा कि बिहार से झारखण्ड अलग हुआ तो कुछ वर्षों तक झारखण्ड से कुछ गांवों को बिजली मिलती रही एवं बाद में झारखण्ड से बिजली काट दी गई।जिसके बाद दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने बिजली विभाग,प्रखण्ड कार्यालय एवं अनुमण्डल कार्यालय समेत जनप्रतिनिधियों से बिजली आपूर्ति हेतु गुहार लगाई।किन्तु इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी है।उन्होंने कहा कि हम आपके माध्यम से जिलाधिकारी से गुहार लगाते हैं कि वे हम गरीबों की समस्या को संज्ञान में लेते हुए बाधित बिजली आपूर्ति पुनः बहाल करवाएं।ताकि हमसभी ग्रामीणों का जीवन खुशहाल हो सके।
क्या कहते हैं मुखिया –
इस बाबत पर हरदिया पंचायत के मुखिया रहे पिन्टू साव ने कहा कि डैम के उस पार के लगभग दस गांवों में विगत कई वर्षों से बिजली नहीं है।जिससे लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।यदि बिजली होती तो वहां के लोगों को भीषण गर्मी एवं रात्रि के नाधेरे से राहत तो मिलती ही।साथ ही पेयजल की समस्या का निवारण सुलभ तरीके से सम्भव हो पाता।उन्होंने कहा कि इसके लिए उनके द्वारा बिजली विभाग के पदाधिकारियों से कई बार बात की गई है।किंतु उनके द्वारा कहा जाता है कि वन विभाग जबतक एनओसी नहीं देता है,तबतक बिजली आपूर्ति नहीं किया जा सकता है।
क्या कहते हैं विद्युत कार्यपालक अभियंता-
इस बाबत पर विद्युत कार्यपालक अभियंता यासिर हयात ने कहा कि बिहार सरकार के निर्णयानुसार हरेक गांव एवं घरों का विद्युतीकृत करना सुनिश्चित है।हरदिया पंचायत के डैम पार के दर्जनों गांवों में बिजली बहाल करने के लिए बिजली के खम्भों को गाड़ने एवं तारों का जाल बिछाने के लिए वन भूमि से होकर गुजरना पड़ेगा।इसके लिए बीते वर्ष 2022 के 25 अप्रैल को पत्रांक संख्या 345 से डीएफओ नवादा को पत्राचार कर एनओसी की मांग की गई थी।इसके बावजूद अबतक वन विभाग द्वारा अबतक एनओसी नहीं दिया गया है।जिसके कारण उक्त सभी गांवों में बिजली आपूर्ति बाधित है।उन्होंने कहा