पटनासाहिब:रविशंकर की राह आसान नहीं ,कांटे ही कांटे बिछे हैं

(संजय वर्मा)

पटनासाहिब लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार निवर्तमान सांसद रविशंकर प्रसाद मुगालते में हैं की कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अंशुल कुशवाहा के आने से वो आसानी से जीत जाएंगे वो 4 लाख मतों से जीत जाएंगे यह भरम उनको पालने का पूरा हक है पर यही भरम उन्हें ले डूबेगा वो मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं सांसद रहते खुद को सुरमा समझ लेना आत्मघाती हो सकता है यह ठीक है कि अंशुल कुशवाहा को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने के बाद बहुतों को आश्चर्य हुआ अंशुल को पटनासाहिब के लोग पहचानना तो दूर जानते तक नही थे अंशुल देश के पहले उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के नाती बिहार सरकार में पहली महिला मंत्री सुमित्रा देवी के पौत्र और लोकसभा की अध्यक्ष रही मीरा कुमार के सुपुत्र हैं आम तौर पर पटनासाहिब को कायस्थों की बपौती सीट मान भाजपा इसी समाज से उम्मीदवार देती रही है।

जबकि विपक्षी दल हमेशा गलत उम्मीदवार उतारते रहे है पर अंशुल जिस कुशवाहा जाति से आते है ढंग से महागठबंधन का वोट यादव कोयरी कुर्मी मुस्लिम दलित के साथ वैश्य अतिपिछड़ों का वोट थोक भाव मे साध लिये तो रविशंकर प्रसाद को टक्कर देने की बजाय आसानी से पराजित कर सकते हैं अंशुल को इस कार्य मे रविशंकर के क्रिया कलापों दलाल संस्कृति को बढ़ावा देने से क्षुब्ध और ऋतुराज सिन्हा को टिकट नही मिलने से नाराज भाजपा के बड़े वर्ग का समर्थन उनकी जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकती खासकर वैश्य समाज अपनी उपेक्षा से आहत होकर रविशंकर प्रसाद को सबक सिखाने में अंशुल के समर्थन में खुलकर आ सकते है बाकी राजद कांग्रेस माले भाकपा माकपा वीआईपी के लड़ाकू कैडर तो है ही बस उनको चार्ज करने की जरूरत है।

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