देश में अल्पसंख्यक खतरे में नहीं, अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीति करने वाले खतरे में – इरशाद आलम,तरन्नुम
विश्वनाथ आनंद ।
गया( बिहार )- भारत विविध संस्कार और संस्कृतियों का एक आदर्श देश है.जिन्होंने सदियों से भारतीय सामाजिक प्रथाओं में प्रत्येक संस्कृति और धर्म के प्रति स्वतंत्रता देकर समानता का अधिकार प्रदान किया है. यह उदगार है ,मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान कौटिल्य मंच के वरिष्ठ सदस्य समाजसेवी तरन्नुम तारा एवं इरशाद आलम का. उन्होंने कहा भाषाई जातीय संस्कृति और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश में अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की है, जो संविधान द्वारा दिए गए अल्पसंख्यकों के खिलाफ सभी प्रकार की भेदभावों को खत्म करने के मकसद सेअल्पसंख्यकों के साथ उदार एवं कल्याणकारी दृष्टिकोण अपनाया है. कुछ राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थों के लिए अल्पसंख्यकों को गुमराह किया है, संकीर्ण एवं संप्रदायिकता की राजनीति करने वाले दलों ने अल्पसंख्यको के कल्याण के बजाय उनका वोट बैंक मानकर उनके सम्मान एवं वास्तविक अधिकारों की अनदेखी की है,जिसके कारण अल्पसंख्यकों के कल्याण की अनेक योजनाओं एवं नीतियों को लागू नहीं किया गया है.सच कहा जाए तो आज देश मेंअल्पसंख्यक खतरे में नहीं है, अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीतिक करने वाले दल खतरे में है.उल्लेखनीय की आज अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर समाजसेवी एवं कौटिल्य मंच के वरिष्ठ सदस्य तरन्नुम तरा एवं इरशाद आलम ने यह उद्गार व्यक्त करते हुए अल्पसंख्यक वर्ग के शुभचिंतकों एवं समाज के जागरूक लोगों को अल्पसंख्यकों को हित और कल्याण हेतु समुचित अधिकार दिलाने के लिए आगे आने की सलाह दी है.जिन प्रमुख लोगों ने उनके कथन का समर्थन किया है उनमें प्रमुख रूप से शफीक आलम, मोहमद सदाम ,अमजद हुसैन ,असणार इमाम, अरसा खातून, वसीम अहमद ,मंजू देवी ,सुजीत कुमार, देवेंद्र नाथ मिश्रा, रवि भूषण पाठक ,पवन मिश्रा ,नुसरत परवीन ,डॉ ज्ञानेश भारद्वाज ,डॉक्टर जियाउद्दीन ,डॉक्टर अब्दुल खैर ,कविता राऊत ,संगीता कुमारी, किरण पाठक, रूबी देवी, पुष्प लता ,रजनी चावला, नेहा कुमारी ,पुष्पा गुप्ता, बबलू ,तस्लीम सलेहा, वसीम कुमारी, नीलम कुमारी, ममता देवी, सुनीता देवी ,रेशमा परवीन फरहद आदि लोगों का नाम उल्लेखनीय है.