सौभाग्य वृद्धि का महापर्व हरतालिका तीज,महामंडलेश्वर पंडित वेद मूर्ति

संतोष कुमार ।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हरितालिका व्रत प्रारंभ होगी।इसके लिए आज नहाय खाय से सभी शुरूआत करेंगी।पर्व का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा।उदया तिथि के चलते हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर हस्त नक्षत्र ब्रम्ह योग को रखा जाना शास्त्र सम्मत है।14 वर्षों बाद अत्याधिक शुभ योग में रखा जाएगा हरितालिका तीज का व्रत, होगी अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति व सौभाग्य का महापर्व हरितालिका तीज का पावन त्यौहार इस वर्ष 6 सितंबर 2024, शुक्रवार को हरतालिका तीज मनाई जाएगी।विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री वेदमूर्तिनंद सरस्वती जी ने बताया कि प्रतिवर्ष सौभाग्यवती स्त्रियां भाद्रपद शुक्ल तृतीया को यह पवित्र पर्व बड़ा हीं हर्ष उल्लास पूर्वक मनाती हैं।इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और फिर अगले दिन पूजा के बाद इनके द्वारा व्रत का पारण किया जाता है।ऐसे तो साल में चार तीज आती हैं,लेकिन उन सभी में हरतालिका तीज का सबसे अधिक महत्व माना जाता है।शिव महापुराण के अनुसार इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखा करती हैं,जैसे मां पार्वती भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए इस कठीन व्रत की थी।इस बार हरितालिका तीज पर विशेष संयोग बन रहे हैं,14 सालों बाद ब्रम्ह योग व हस्त नक्षत्र एवं शुभ संयोग ग्रहों की जुगलबंदी के कारण बन रही है।

हरितालिका पूजन करने का शुभ मूहूर्त :-

हरतालिका तीज तिथि का प्रारंभ 05 सितंबर 2024, गुरुवार के दिन दोपहर 12: 21 पर प्रारंभ होगी।इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 03.21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।इसलिए उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

प्रात:काल पूजा मुहूर्त- सुबह 06.03 मिनट से सुबह 08.33 मिनट तक, अभिजित मुहूर्त 11:32 से 12:52 तक

प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त – शाम 06.33 मिनट से रात 08.51 मिनट तक

मान्यता है कि इस शुभ संयोग में व्रत और पूजन करने से सुहागिनों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

बेहद कठिन माना जाता है हरितालिका तीज व्रत:-

इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निराहार और निर्जला व्रत रखती हैं, हरतालिका तीज को हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी होता है, हरतालिका तीज को हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाते हैं।यह व्रत एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जाता है।ऐसा शास्त्रों में कहा गया है,जो रोग आदि से ग्रस्त हैं, वो पानी भी पी सकते हैं।

निर्णय सिंधु के अनुसार हरतालिका तीज महत्व:-

हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है।जिनके घर में यह महाव्रत रखा जाता है, उस घर में पुरे साल सुख शांति व समृद्धि कि प्राप्ति होती है और किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है।मान्यता है कि इस कठीन व्रत को करने से कुमारी कन्याओं को सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है, संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।

हरितालिका तीज पूजा विधि:-

हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाई जाती है।तत्पश्चात भगवान गणेश जी को तिलक करके दूर्वा अर्पित करनी चाहिए।इसके बाद हीं भगवान शिव को फूल, बेलपत्र, मक्का, खीरा, इनरसा और मालपुआ आदि अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा ब्राह्मण द्वारा सुुनें या स्वयं पढ़ें।
विधि पूर्वक पूजन के बाद भगवान भोलेनाथ व श्रीगणेश की आरती व दक्षिणा दें।साथ हीं रूद्राक्ष की माला से ऊं नम: शम्भवाय इस मंत्र का १०८ बार जप करें व रात्रि जागरण करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करके घर में सुख शांति सदैव बना रहे इसके लिए भगवान सदाशिव के चरणों में साष्टांग प्रणाम करें।पुनः प्रात: कालिन पार्थिव शिव परिवार का विसर्जन बहते हुए जल मेंं करें। साथ हीं साथ घर आए ब्राह्मणों को यथा शक्ति दक्षिणा दें व अन्न वस्त्र, चावल, आटा, चिनी, दूध नमक आदिका दान करें।
इतना करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा से आपका पुरा परिवार सदैव आनंदित रहेंगे व भगवान भोलेनाथ सदैव रक्षा करेंगे।