राष्ट्रीय कृमि दिवस को लेकर बच्चों को खिलायी गयी अल्बेंडाजोल दवा

मनोज कुमार ।

पेट के कीड़ों की वजह से बच्चों में होता है एनीमिया और कुपोषण

स्वास्थ्य अधिकारियों ने चांकद स्थित प्राथमिक स्कूल में किया शुभारंभ

गया, 04 सितंबर: जिला में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस प्रारंभ किया गया। राष्ट्रीय कृमि दिवस का शुभारंभ सदर प्रखंड के चांकद स्थित राणापुर प्राथमिक विद्यालय में स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम नीलेश कुमार तथा जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ राजीव अंबष्ट ने बच्चों को अल्बेंडाजोल दवा का सेवन करा कर किया। इस मौके पर सीडीओ डॉ पंकज सिंह सहित मनोज कुमार, यूनिसेफ से संजय कुमार तथा अजय चेरो​बिम सहित स्कूल शिक्षक एंव बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे मौजूद रहे। डीपीएम ने बताया कि जिला में 26 लाख 24 हजार 851 बच्चों को कृमि मुक्ति के लिए अल्बेंडाजोल खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। 11 सितंबर को मॉप अप राउंड संचालित किया जायेगा। इस अभियान के दौरान एक से 19 वर्ष के बच्चे और किशोर—किशोरियों को अल्बेंडाजोल दवा का सेवन आवश्यक रूप से कराना है। आशा को इसके लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने आइसीडीएस तथा शिक्षा विभाग के साथ समन्वय ​स्थापित किया है ताकि बच्चों को दवा खिलायी जा सके। आशा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकताओं को दवा सेवन कराने में सहयोग कर रही हैं। कहा कि अभिभावकों से अपील है कि इस अभियान में अपने एक से 19 वर्ष के सभी बच्चों एवं किशोर—किशोरियों को पेट में कीड़ों से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल की दवा अवश्य खिलाएं।

जोंक से शरीर होता है कमजोर:
डीआईओ डॉ राजीव अंबष्ट ने बताया कि कृमि यानि जोंक के कारण शरीर कमजोर हो जाता है। कृमि के कारण बच्चों और किशोर—किशोरियों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा, एनीमिय, कुपोषण, स्कूलों में अनुपस्थिति और आर्थिक उत्पादकता में कमी जैसी समस्या देखने को मिलती है। बताया कि कृमि ऐसे परजीवी है जो मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्वों को खाते हैं। बताया कि संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे होते हैं। खुले में शौच करने से ये अंडे मिट्टी में मिल जाते हैं और विकसित होते हैं। स्वस्थ बच्चों के नंगे पैर चलने से, गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना ढ़का हुआ भोजन खाने से, लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं।

बच्चों में कृमि होने के गंभीर लक्षण:
कृमि एनीमिया होने का एक बड़ा कारण है। कृमि के कारण एनीमिया का चक्र कभी टूटता नहीं और यह किशोरियों और बच्चों को कमजोर बनाए रखता है। गंभीर कृमि संक्रमण से दस्त, पेट दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख नहीं लगना सहित कई सारे लक्षण हो सकते हैं। बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल खाना जरूरी है।

कृमि संक्रमण से बचाव के तरीके:
नाखून साफ और छोटे रखें
हमेशा साफ पानी पिएं
खाने का ढंक कर रखें
साफ पानी से फल व सब्जी धोएं
खाने से पहले और शौच के बाद साबनु से हाथ धोएं
आसपास की सफाई रखें, जूता या चप्पल पहनें
खुले में शौच नहीं करें, शौचालय का प्रयोग करें