आरजेडी का ‘माय’ समीकरण दरका, तेजस्वी दें जवाब: जद(यू)

विशाल वैभव ।

पटना, 4जद (यू) प्रदेश कार्यालय में पार्टी विधान पार्षद सह मुख्य प्रदेश प्रवक्ता श्री नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, श्रीमती अंजुम आरा एवं पूर्व प्रदेष प्रवक्ता श्री अरविंद निषाद ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान पार्टी प्रवक्ताओं ने आरजेडी पर अति पिछड़ा समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया।पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार में ‘माय’ समीकरण पर दावा जताने वाली आरजेडी का सारा समीकरण रुपौली विधानसभा उप चुनाव में दरक गया। उन्होंने कहा कि ‘जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी भागीदारी’ का नारा आरजेडी का भ्रमजाल है। उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा समुदाय का अपमान करना आरजेडी की कार्य संस्कृति रही है। पार्टी प्रदेश प्रवक्ताओं ने कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने अति पिछड़ा समुदाय में आने वाले गंगौता समुदाय को हमेशा राजनीतिक तौर पर उचित सम्मान देने का काम किया है साथ ही उसी समुदाय से आने वाली बीमा भारती को रुपौली विधानसभा से साल 2010, 2015 और 2020 में लगातार विधायक बनाने का काम किया। वहीं साल 2010 और 2015 में गंगौता समुदाय से ही आने वाले अजय मंडल नाथ नगर से, साल 2015 में गोपालपुर से गोपाल मंडल, साल 2019 में हुए उप चुनाव के दौरान नाथ नगर से लक्ष्मीकांत मंडल, 2020 में गोपालपुर से गोपाल मंडल और साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भागलपुर से अजय मंडल को सांसद बनाने का काम किया।

इस दौरान पार्टी प्रवक्ताओं ने कुछ अहम सवाल उठाए:-

1. क्या ये सही नहीं है कि ‘माय’ समीकरण पर दावा करने वाली आरजेडी का रुपौली विधानसभा उप चुनाव में यह समीकरण बिखर गया? पूर्णिया लोकसभा इलाके में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी तादाद है लेकिन रुपौली विधानसभा चुनाव में आरजेडी का ‘माय’ समीकरण भी दरक गया जब अधिकांश बूथों पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने आरजेडी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया?

2. क्या ये सही नहीं है कि अति पिछड़ा समुदाय की जब राजनीतिक हिस्सेदारी की बात आती है तो आरजेडी हमेशा उसका अपमान करने का काम करती है? लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो आरजेडी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और इस समुदाय से महज 2 उम्मीदवारों को टिकट देने का काम किया जबकि जदयू महज 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 अति पिछड़ा समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट देने का काम किया।

3. क्या ये सही नहीं है कि परिवारवादी पार्टी आरजेडी का गंगौता समुदाय का राजनीतिक अपमान करना उनकी राजनीतिक संस्कृति है?

4. क्या ये सही नहीं है कि ‘जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी भागीदारी’ का नारा आरजेडी का भ्रमजाल है जबकि असल में आरजेडी का नारा यह है कि परिवार के जितने सदस्य हैं उतनी भागीदारी हम लेंगे। परिवार के सदस्य भी दो सीट लेंगे और अति पिछड़ा समुदाय को भी दो सीट देंगे?

5. क्या ये सही नहीं है कि राजनीतिक तौर पर आरजेडी प्रभावहीन हो गई है? रुपौली में सीपीआई का राजनीतिक वजूद हमेशा आरजेडी से बेहतर रहा है लेकिन इसके बवजूद सीपीआई से वो सीट छीनकर आरजेडी ने गठबंधन के सदस्यों को धोखा देने का काम किया