सोनार भी अब चुप होकर नहीं बैठेगा उसे भी राजनीतिक सामाजिक हिस्सेदारी हर दल को देना ही पड़ेगा

संजय वर्मा।

वैश्य मतलब 56 उपजातियों का समूह जिसकी कुल आबादी 25%होने की संभावना होती थी जातीय सर्वेक्षण के जरिये यह स्पष्ट हो गया कि इन 56 उपजातियों में किसकी आबादी है सबसे बड़ी जाति तेली जिसकी आबादी 2.86 है वो अति पिछड़ी जाति में शामिल होने के बाद वैश्य समाज से कट गई है इसके बाद जो जातियों का परसेंट आया है उसमें सोनार 0.68%के साथ सबसे बड़ी आबादी बाली जाति बनकर वैश्य समाज मे उभरा है जबकि 20 अन्य उपजातियों को इकट्ठा कर गणना किया गया वो लगभग 2% के आसपास है जिनमे कलवार और सूरी भी शामिल हैं जिनकी आवादी 0.30 %है पर इन दोनों जातियों की राजनीतिक हिस्सेदारी सम्पूर्ण बनिया समाज का 90%से ज्यादा है पर जातीय सर्वेक्षण के बाद यह भी स्पष्ट है कि सोनार भी चुप होकर नहीं बैठेगी उसे भी राजनीतिक सामाजिक हिस्सेदारी हर दल को देना ही पड़ेगा ।

सत्यनारायण का प्रसाद की तरह इस समाज का वोट किसी को नहीं मिलेगा अबतक इस जाति को हासिये पर रखा गया जानबूझकर कि इसकी कोई आबादी नहीं इसी भूलभुलैया का मलाई कलवार सूरी जैसी जातियां खाती रही इन जातियों से दर्जनों विधायक सांसद और कई मंत्री हैं पर सोनार के मात्र दो विधान पार्षद जातीय सर्वेक्षण में आवादी का फिगर क्लियर होने के बाद सोनार में भी सत्ता की भूख जगी है इग्नोर जो भी राजनीतिक दल करेगा उसे खैरात में इस जाति का वोट नहीं मिलेगा।