अनुमंडलीय अस्पताल बना कुव्यवस्था का शिकार,जरूरी सुविधाएं नदारद,एक बच्ची की मौत

संतोष कुमार ।

अनुमण्डल मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल विगत दिनों से कुव्यवस्था का शिकार हो गया है।अस्पताल में टिटनेस और ऑक्सिमीटर सुविधा तक उपलब्ध नहीं है।वहीं रात्रि को आनेवाले मरीजों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है।साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों की अनदेखी से बृहस्पतिवार की रात्रि एक ढ़ाई वर्षीय बच्ची की मौत हो गई।जिससे परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।वहीं लाखों रुपये खर्च के बाद भी शिशु चिकित्सा गहन देखभाल यूनिट (पीआईसीयू) धूल फांक रहा है।बृहस्पतिवार की रात्रि लगभग नौ बजे डीह रजौली से ढ़ाई वर्षीय बच्ची को ईलाज हेतु अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।अस्पताल में ड्यूटी में रहे चिकित्सक डॉ राघवेन्द्र भारती ने बताया कि डीह रजौली निवासी संदीप राजवंशी की ढ़ाई वर्षीय पुत्री सरस्वती कुमारी मिर्गी रोग से ग्रसित थी।जिसका प्राथमिक इलाज कर बेहतर इलाज हेतु रात्रि के लगभग 9:30 बजे पावापुरी अस्पताल रेफर कर दिया गया।किन्तु परिजनों द्वारा रेफर किये मरीज को नहीं ले जाया गया।रात्रि के लगभग 10:15 में जीएनएम द्वारा कहा गया कि बच्ची की तबियत बिगड़ रही है।जिसके बाद चिकित्सक द्वारा जांच किये जाने पर बच्ची को मृत घोषित किया गया।बच्ची के मृत होने की खबर सुनते ही परिजनों रो-रो कर बेहाल हो गए।

स्वास्थ्यकर्मियों की अनदेखी से गई बच्ची की जान

मृतक ढ़ाई वर्षीय बच्ची के पिता संदीप राजवंशी ने बताया कि वो राजमिस्त्री का काम कर अपने परिजनों का पालन-पोषण करता है।बृहस्पतिवार की सुबह बच्ची को बुखार आया था।वहीं दोपहर को बच्ची के शरीर में झटका भी आया था।जिसको लेकर ग्रामीण चिकित्सक के पास परिजनों द्वारा बच्ची को इलाज हेतु ले जाया गया।जहां ग्रामीण चिकित्सक ने इलाज कर वापस घर भेज दिया।शाम को जब बच्ची की तबियत खराब होने लगी तो इलाज हेतु अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।जहां चिकित्सक द्वारा इलाज के बाद ऑक्सिजन लगाकर रेफर की बात कही गई।किन्तु अस्पताल में ऑक्सिमीटर नहीं रहने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ऑक्सीजन नहीं लगाया गया।वहीं जीएनएम द्वारा मोबाइल से एम्बुलेंस को बुक करने को कहा गया।किन्तु मेरे मोबाइल में बैलेंस नहीं रहने के कारण जीएनएम से विनती किये की वो एम्बुलेंस को कॉल कर दें।किन्तु लगभग 45 मिनट तक किसी ने भी एम्बुलेंस को कॉल करके नहीं बुलाया।इसी बीच मेरी बेटी की तबियत अचानक बिगड़ने लगी।तब चिकित्सक ने आकर बच्ची की जांच के बाद मृत बताया।वहीं मृतक की चाची मानो देवी ने बताई कि अगर बच्ची को ऑक्सीजन दिया जाता तो बच्ची की जान बच सकती थी।हालांकि ऑक्सीजन लगाने को लेकर परिजनों द्वारा जीएनएम को कई बार बोला गया किन्तु वे उन्हें डांट फटकार लगाकर वापस भेज देती थी।

लाखों खर्च के बाद पीआईसीयू धूल फांक रहा है

अनुमंडलीय अस्पताल की पहली मंजिल लाखों रुपये के खर्च के बाद बना शिशु चिकित्सा गहन देखभाल यूनिट (पीआईसीयू) धूल फांक रहा है।पीआईसीयू में एक दिन से 15 वर्ष के बच्चों के इलाज के लिए उत्तम व्यवस्था है।जिसमें 5 वेंटिलेटर,10 मॉनिटर व नवजात शिशुओं के लिए 2 वार्मर है।पीआईसीयू में गम्भीर रूप से बीमार बच्चों की देखभाल किया जाता है।यदि पीआईसीयू चालू व्यवस्था में होता तो ढ़ाई वर्षीय बच्ची को सामान्य वार्ड से पीआईसीयू में शिफ्ट कर बचाया जा सकता था।बताते चलें कि तत्काल जिलाधिकारी यशपाल मीणा द्वारा वर्ष बन्द पड़े पीआईसीयू को पुनः 12 जून 2021 को चालू करवाकर उसमें चिकित्सक व नर्सों की प्रतिनियुक्ति भी की गई थी।किन्तु कुछ दिनों के बाद ही यह व्यवस्था वापस बन्द पड़ गई।वहीं कागजों पर पीआईसीयू को सुचारू रूप से संचालित हुआ बताया जाता है।

अस्पताल परिसर में उपलब्ध था जीवन रक्षक एम्बुलेंस,फिर भी नहीं बची बच्ची

एम्बुलेंस चालक ने बताया कि अस्पताल में ड्यूटी में रहे जीएनएम संजू कुमारी द्वारा रात्रि के लगभग 10:15 बजे कॉल करके अस्पताल आने को कहा गया।पांच मिनट में जब अस्पताल आया तो देखा चिकित्सक द्वारा बच्ची की जांच की जा रही थी।एम्बुलेंस के ड्राइवर ने बताया कि यदि मरीज के रेफर के समय ही किसी भी स्वास्थ्यकर्मी द्वारा सूचना दिया जाता तो बच्ची को एम्बुलेंस द्वारा रेफरल अस्पताल ले जाया जाता।

चिकित्सक व जीएनएम द्वारा की जाती है मरीजों व परिजनों के साथ दुर्व्यवहार

बभनटोली निवासी जोगेंद्र सिंह ने बताया कि बीती रात्रि ब्लड सुगर और बीपी बढ़ जाने के करण उनके छोटे भाई रंजीत कुमार सिंह की तबियत अचानक बिगड़ गई।जिसे इलाज हेतु अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज हेतु लाये।अस्पताल में नर्स एक रूम में सो रही थी एवं चिकित्सक भी अपने कक्ष में नहीं थे।जब दरवाजा नॉक कर नर्स को जगाया तो वे पांच मिनट बाद दरवाजा खोलकर बाहर निकली।उसके बाद नर्स द्वारा ड्यूटी पर रहे चिकित्सक डॉ राघवेन्द्र भारती जो पहली मंजिल के विश्रामगृह में सो रहे थे,उन्हें बुलाया गया।इलाज के दौरान चिकित्सक द्वारा काफी बुरा व्यवहार किया गया।जिसका विरोध किये जाने पर रौब जमाते हुए थाना फोनकर पुलिस बुलाने की धमकी दी गई।पीड़ित ने बताया कि अस्पताल में लोग अपनी परेशानियों को लेकर आते हैं।ऐसे में चिकित्सक व जीएनएम द्वारा मरीजों के साथ दुर्व्यवहार किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।हालांकि इसकी शिकायत इलाजरत पीड़ित द्वारा प्रभारी उपाधीक्षक डॉ दिलीप कुमार से भी की गई।किन्तु चिकित्सक के आचरण में किसी प्रकार का बदलाव नहीं देखा गया।वहीं मौके पर पहुंचे नगरपंचायत के उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि ने भी अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था व चिकित्सक के बिगड़ैल बोल को देखकर भड़क गए एवं स्वास्थ्य मंत्री के अलावे जिलाधिकारी व सिविल सर्जन से इसकी शिकायत करने की बात कही।

अनुमंडलीय अस्पताल में कुव्यवस्था व्याप्त

अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सक उपाधीक्षक का पद विगत कई वर्षों से खाली है।अस्पताल के ही वरिष्ठ चिकित्सक को इसका प्रभार दिया गया है।किंतु उपाधीक्षक प्रभारी द्वारा दिये निर्देशों का अनुपालन कुछ चिकित्सकों द्वारा नहीं किया जाता है।यही हाल अस्पताल मैनेजर के पद का है।विगत कई महीनों से एक कर्मी को मैनेजर पद पर सप्ताह में दो दिनों की ड्यूटी के लिए तैनात किया गया है।वहीं अस्पताल में विगत कई दिनों से टिटेनस जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है।हालांकि अनुमंडलीय अस्पताल में मौजूद कमियों को लेकर कांग्रेस प्रखण्ड अध्यक्ष रामरतन गिरी द्वारा जिलाधिकारी समेत अन्य वरीय पदाधिकारी को पत्राचार किया गया है।किंतु किसी ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है।

क्या कहते हैं अधिकारी

सिविल सर्जन नवादा डॉ बीएन चौधरी ने बताया कि मामला काफी संवेदनशील है।अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ दिलीप कुमार से कारण पृच्छया के बाद दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।