विश्व मगही परिषद के तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 171वाँ सम्मेलन कातिक पूर्णिमा, प्रकाशोत्सव व कवि सम्मेलन के साथ संपन्न
विश्वनाथ आनंद ।
पटना /दिल्ली-विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली के तत्वावधान में आज ‘अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-171वाँ सम्मेलन’ का आयोजन भव्य रूप से किया गया। यह आयोजन ‘कातिक पूर्णिमा’, प्रकाशोत्सव और कवि सम्मेलन पर केंद्रित था, जो भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, और साहित्य का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। यह कार्यक्रम शाम 6:00 बजे आरंभ होकर देर रात तक हुआ और इसमें लगभग तीन दर्जन देश -विदेश के साहित्यकारों, कवियों, और संस्कृति-प्रेमियों ने भाग लिया।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यकार महेंद्र प्रसाद देहाती जी के सरस्वती वंदना से हुई,इस अवसर पर नवादा (बिहार) के प्रतिष्ठित साहित्यकार और मगही गीत सम्राट श्री जय प्रकाश बाबू मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिए , मुख्य अतिथि ने उक्त विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कातिक पूर्णिमा का महत्त्व अपरम्पार है ,कातिक पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। इसे ‘देव दीपावली’ के रूप में भी मनाया जाता है, जो देवताओं के दीपोत्सव का प्रतीक है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है और यह शुभ कर्मों की शुरुआत का प्रतीक है।
यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालमणि विक्रांत की देखरेख में संपन्न हुआ। अपने अध्यक्षीय संबोधन में अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष लालमणि विक्रांत ने कार्तिक महीना का महत्त्व बताते हुए अपनी कविता ‘जिन्दगी के दिन’ के काव्य पाठ द्वारा अपना मंतव्य और गंतव्य आलोकित किया ।मगही साहित्य सेविका पूजा ऋतुराज को जिला अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन, तकनीकी सहयोग और अतिथियों का स्वागत अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने किया ।
प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने गुरु नानक जयंती के उत्सव के बारे में बताते हुए कहा कि कातिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की कीर्तियों को स्मरण करने का पुनीत अवसर है। उनके उपदेशों में मानवता, प्रेम, और सेवा का संदेश समाहित है जो आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए समाज को एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया। इस अवसर पर जालंधर पंजाब से पुनीत खन्ना जी ने भी गुरु नानक जयंती पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प दिलाया ।
शेखपुरा से विशिष्ट अतिथि और समीक्षक साहित्यकार आचार्य जयनंदन सिंह ने बताया कि मगध क्षेत्र में यह पर्व विशेष रूप से ‘प्रकाशोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है, जहाँ दीपों की जगमगाहट से पूरी प्रकृति आलोकित हो जाती है। उन्होंने मगही भाषा और संस्कृति को संरक्षित और विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
हिंदी और मगही के जाने माने साहित्यकार और गीतकार प्रोफेसर (डा०) शिवेंद्र नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन सनातन धर्मावलंबियों के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह दिन त्रिदेव – -ब्रह्मा,विष्णु और महेश के विभिन्न प्रसंगों से जुड़ा है। साथ ही गौरी पुत्र कार्तिकेय के दर्शन और सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरू नानक के जन्मोत्सव से भी आज का दिन संबंधित है जिसके कारण इसकी पावनता और पवित्रता आज भी बरकरार है। गुरू नानक के उपदेश और शिक्षा आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।
भागलपुर से साहित्यकार और गीतकार कवि राजकुमार जी ने कार्तिक पूर्णिमा पर प्रकाश डालते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि-
हे देवाली देव के, ‘राज’ मगध में छाल।
इहे गुने हे कर रहल, जगमग ई चौपाल।।
जगमग चौपाल हे, गुरुनानक के संग।
गुरुनानक के संग उठ, हे बुन रहल उमंग।।
हे बुन रहल उमंग उठ, बाँट रहल उजियार।
तभिए ई चौपाल नित, हे पा रहल निखार।।
नवोदित साहित्यकार हरेंद्र नारायण ने गुरू नानक की शिक्षा में सामाजिक कुरीतियों पर दिए गए जोर की चर्चा करते हुए दहेज प्रथा के उन्मूलन को आवश्यक बताते हुए एक गीत की प्रस्तुति दी जिसका बोल है–
तिलक दहेज के बनऽल ऐसन फंदा।
खोजाहे अइसन मुर्गी जे दे सोने के अंडा।।
कवि सम्मेलन में देश-विदेश के प्रतिष्ठित कवियों ने भाग लिया और अपनी रचनाओं के माध्यम से कातिक पूर्णिमा और प्रकाशोत्सव के विविध पहलुओं को उजागर किया। रचनाओं में मगध की सांस्कृतिक विरासत, लोक परंपरा, और आध्यात्मिकता की झलक देखने को मिली।