हिंदी की प्रतिष्ठा का प्रभाव देश काल की सीमा को पार कर गया है-विवेक कुमार

विश्वनाथ आनंद ।
गया( बिहार)-गया स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सा भवन में कौटिल्य मंच द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्रम- संसाधन विभाग, बिहार सरकार के पूर्व संयुक्त निदेशक विवेक कुमार ने अपनी संबोधन में कहा कि आज हिंदी भारतीय संस्कृति की धारा में आगे बढ़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर सर्वाधिक लोकप्रियता हासिल कर हमें गौरवान्वित कर रही है। यह हिंदुस्तान के लिए गौरव की बात है।इस अवसर पर उपस्थित विज्ञान प्रावैधिकी तकनीकी शिक्षा विभाग बिहार सरकार पटना के सहायक सचिव अनुराधा सिन्हा ने अपनी उद्गार में कहा की हिंदी आज विविध धर्म संस्कृत भाषाओं और परंपराओं के साथ सद्भाव एकता और सौहार्द बढ़ाते हुए विश्व पटल पर हिंदुस्तानियों की पहचान बनी हुई।

कौटिल्य मंच द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विवेकानंद मिश्र ने कहा कि जिन्हें भारत की आत्मा को समझना है, उन्हें हिंदी को समझना होगा। आज हिंदी की ताकत और समृद्धि देश के विभिन्न प्रदेशों में सामान्य लोगों के जीवन में रची बसी दिखाई पड़ती है। इसे अंग्रेजीदां लोग भले ही हिंदी की उपेक्षा करते हो किंतु सामान्य लोगों के जीवन में हिंदी हिंदुस्तानियों के जीवन का पर्याय है।समाजसेवी सोनी देवी एवं मृदुल मिश्रा ने कहा कि हिंदी को शर्म से नहीं गर्व से स्वीकार करें। इस अवसर पर गया शहर के प्रमुख होम्योपैथिक डॉक्टर रविंद्र कुमार ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की मांग की। इसरो के वैज्ञानिक शशांक सिंह ने कहा कि आज हिंदी का राष्ट्र ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्पष्ट देखा जा रहा है। इसका। प्रभाव नित निरंतर बढ़ता जा रहा है जो हमें गौरवान्वित करता है। पर इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा रहा है। ज्योति शिक्षा एवं शोध संस्थान के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेश भारद्वाज दीपक पाठक रंजीत पाठक पवन मिश्रा सत्यम कुमार अभय सिंह अजय मिश्रा सुनील कुमार संजय मिश्रा आदि उल्लेखनीय थे। धन्यवाद ज्ञापन कोरबा शिक्षिका लीला सिंह ने किया।

You may have missed