मैं अंतिम समय तक शिवहर में रेल के लिए प्रयासरत रहूंगा -संघर्ष युवा मोर्चा मुकुंद प्रकाश

गजेंद्र कुमार सिंह ।

– किसी रेल सी गुजरती है….मैं किसी पुल सा थरथराता हूं…………!

शिवहर— जिले में इन दिनों रेल के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है विरोधी पार्टी बताता है शिवहर जिला में सिर्फ सांसद रेल मंत्री के साथ बातचीत कर रेल की चर्चा कर रही है। वहीं विरोधी बता रहा है शिवहर जिला में बजट में रेल का चर्चा ही नहीं है। लेकिन जिले का युवा मोर्चा मुकुंद प्रकाश युवा के साथ प्रयासरत है रेल के लिए जो न्यायालय में रेल के लिए रीट याचिका भी दायर किया। उनका कहना है बिहार का सबसे छोटा व पिछड़ा जिला है । यहां ग्रामीण सड़क उच्च शिक्षा व इमरजेंसी में इलाज हेतु स्वास्थ्य के नाम पर शून्य बट्टा सन्नाटा है । समस्या बहुत है लेकिन समाधान ने नाम पर महज खानापूर्ति है । दोषी सिर्फ पार्टी का झंडा ढ़ोते लोग ही नहीं है,केवल जातियों के नाम पर संगठित होते बुद्धिजीवी और कार्यपालिक विधायिका और विभिन्न पार्टीयों में अघोषित समझौता भी है । इस क्षेत्र में राजनीति का मतलब शुभकामना और संवेदना व्यक्त करना ही रह गया है ।‌ पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी के बंधुआ मजदूर के जैसा केवल पार्टी आलाकमान के आदेश पर ही कार्य करते हैं या कुछ बोलते हैं । उनके लिए राजनीति का मतलब पार्टी के लिए सदस्यता अभियान पार्टी का विस्तार या राष्ट्रीय अथवा राज्य के मुद्दे पर पार्टी के शीर्ष नेत्रित्व के स्टैंड को सही साबित करना भर है । स्थानीय मुद्दों के लिए सड़क पर उतरना दल‌ और‌ नेताओं के एजेंडे से बाहर है । व्यक्तिगत संबंध को बचाने‌ के नाम पर सत्ता से सवाल पूछना अधिकांश लोग भूल गए हैं ।

जिलें में एक समूह युवाओं का भी है । स्थानीय समस्याओं के समाधान हेतु शासन प्रशासन से सवाल करना,सड़क पर संघर्ष करना,आरटीआई से सच सामने‌ लाना‌,जरूरत‌ होने ‌पर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना उनका काम है । युवाओं को जिले के पत्रकारों का भरपूर सहयोग मिलता है । समूह से जुड़े युवा खुद का समय,पैसा और शरीर लगाकर निरंतर शिवहर के हित में लगे रहते है । यही कारण है शासन प्रशासन से जुड़े लोगों के आंखों में खटकते है । युवाओं का संघर्ष शुरू होता है वर्ष 2013 से डिग्री कॉलेज, अस्पताल, सरकारी बस के मुद्दे पर सफलता मिलने के बाद अचानक एक दिन घोषणा होता है शिवहर को रेल से जोड़ा जाएगा क्षेत्र में उत्सव का माहौल है ! व्यक्तिगत व्यस्तताओं में व्यस्त आम लोग खुश हैं‌ । दस वर्षों से इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहें युवा भी उत्साहित हैं । लेकिन सबसे अधिक वो‌ लोग खुश हैं जो कल तक रेल का नाम भी नहीं सुनना चाहते थे । रेल के नाम पर युवाओं पर‌ ” हवाई अड्डा” भी मांग लो‌ सहित अनेकों व्यंग्य करने‌ वाले लोग जिनके लिए शिवहर से महत्वपूर्ण पार्टी और नेता हैं । युवाओं के आंदोलन पर सवाल उठा रहें हैं । वो भूल रहें चट्टान भले ही अंतिम चोट से टूटता है लेकिन अंतिम चोट के पहले के सैकड़ों चोटों को भूला नहीं जा सकता । सत्ता और‌ पार्टी के लोग चाहे जो कह लें शिवहर में डिग्री कॉलेज,अस्पताल,ब्लड बैंक, सरकारी बस,और रेल के लिए शिवहर के युवाओं का संघर्ष इतिहास में स्वर्णाक्षरों में नाम दर्ज होगा । समस्या अभी बहुत है फिर किसी मोड़ पर किस जनहित के लिए पार्टी और नेता का झंडा बुलंद करने वाले लोगों का सामना शिवहर का झंडा उठाए लोगों से होगा । अब आज नहीं तो कल रेल का गुजरना तथा पुल का थरथराता तय है ! बस इन्तजार उस दिन का है जब शिवहर के रेलवे स्टेशन पर कांलेज के दिनों जैसा मोबाईल और इयरफोन के माध्यम से जनकवि दुष्यंत कुमार की कविता तू किसी रेल सी गुजरती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूं एक जंगल है तेरी आंखों में मैं जहां राह भूल जाता हूं सुनते हुए ट्रेन का इन्तजार करें ।
मुकुन्द प्रकाश मिश्र

 

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