डॉ. विवेकानंद मिश्र के आवास पर स्व. कृष्णचंद्र पाठक जी की पुण्यस्मृति में शोकसभा सम्पन्न, विद्वानों और समाजसेवियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि - Newslollipop

डॉ. विवेकानंद मिश्र के आवास पर स्व. कृष्णचंद्र पाठक जी की पुण्यस्मृति में शोकसभा सम्पन्न, विद्वानों और समाजसेवियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

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विश्वनाथ आनंद .
गया जी( बिहार)-समाज एवं शिक्षा के सच्चे साधक, मर्यादित जीवन और मानवीय मूल्यों के प्रतीक रहे स्व. कृष्णचंद्र पाठक जी के निधन पर एक शोकसभा का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के द्वारा किया गया डॉ. विवेकानंद मिश्र जी के आवास पर सादगी, भावुकता एवं गरिमा के वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर समाज के विविध क्षेत्रों से जुड़े विद्वानों, शिक्षकों, पत्रकारों एवं धर्माचार्यों ने दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके बहुविध योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें युगद्रष्टा शिक्षक और सेवाभावी पुरुषार्थी बताया।शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए आचार्य श्री सचिदानंद मिश्र “नैकी” ने कहा कि स्व. कृष्णचंद्र पाठक जी अपने जीवन में शिक्षा को केवल नौकरी नहीं, अपितु जनकल्याण का माध्यम मानते थे। वे अपने छात्रों को केवल विषय ज्ञान ही नहीं, अपितु जीवन मूल्य, मर्यादा और सेवा-भाव की शिक्षा देते थे। उनका निधन केवल एक परिवार की क्षति नहीं, अपितु वह संपूर्ण समाज के लिए वटवृक्ष के गिरने जैसा है, जिसकी छाया में कई पीढ़ियाँ पुष्पित और पल्लवित हुईं।डॉ. विवेकानंद मिश्र, जिनके आवास पर यह श्रद्धांजलि सभा सम्पन्न हुई, उन्होंने अपनी भावभीनी अभिव्यक्ति में कहा कि पाठक जी जैसा संयमित, अनुशासित और विनम्र व्यक्तित्व विरले ही मिलता है। वे न केवल एक शिक्षक थे, बल्कि संस्कारों के शिल्पकार थे। उन्होंने ग्रामीण अंचल के बच्चों को शिक्षा के माध्यम से चेतना दी, आत्मविश्वास दिया और उन्हें अपने पांव पर खड़ा होना सिखाया। उनका संपूर्ण जीवन ‘शिक्षक धर्म’ का साक्षात उदाहरण रहा। यही कारण है कि आज प्रसिद्ध समाजशावी वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ आनंद जैसे सुपुत्र को जन्म दिया।सभा को संबोधित करते हुए कई साहित्यिक सांस्कृतिक पुरस्कारों से सम्मानित आचार्य राधामोहन मिश्र ‘माधव’ ने कहा कि पाठक जी का जीवन वैदिक ऋषियों की परंपरा का जीवंत रूप था – जहां सेवा, ज्ञान, त्याग और करुणा एक साथ प्रतिष्ठित थे।
भारतीय जन क्रांति दल डेमोक्रेटिक संस्थापक सचिव आरडी मिश्रा जी ने कहा वे बोलते कम थे, परंतु उनका जीवन स्वयं बोलता था। उनकी जीवनयात्रा हम सबके लिए एक आदर्श पथ का दीपस्तंभ है।इस शोकसभा में उपस्थित जनों ने मौन श्रद्धांजलि अर्पित कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए सामूहिक प्रार्थना की।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ रविंद्र कुमार गीता देवी खुशबू कुमारी रंजू देवी रणजीत कुमार सूर्य मणि देवी सोनी कुमारी अनिता कुमारी आनंद कुमार विनय कुमार बरनवाल अमित बरनवाल डॉ मृदुल मिश्रा संदीप कुमार डॉक्टर ज्ञानेश भारद्वाज हरिशंकर पाठक, सुधीर कुमार आनंद, उमेश कुमार, विनय कुमार सोनी कुमारी अधिवक्ता दीपक पाठक तस्लीम, इशरत जमील कविता राऊत रूबाना परवीन नुसरत उत्तम पाठक संगीता कुमारी सुनीता देवी बृजभूषण मिश्रा संजीव कुमार मिश्रा सहित गया नगर एवं आसपास के क्षेत्रों से अनेक श्रद्धालु, बंधु-बांधव, शिक्षाविद्, पत्रकार एवं समाजसेवी उपस्थित थे।सभा के अंत में एक स्वर से यह भाव प्रकट हुआ कि स्व. कृष्णचंद्र पाठक जी का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा और समाज को शिक्षा एवं सेवा के उस पथ पर अग्रसर करता रहेगा, जिसकी नींव उन्होंने अपने कर्म और आचरण से रखी।