पूर्वजों को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं – राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता

Dhiraj Gupta.
गया जी।पितृपक्ष का पावन महीना अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों को स्मरण करने और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। यह समय केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक जुड़ाव और कृतज्ञता प्रकट करने का विशेष अवसर होता है। जब हम अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं, तो न केवल उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं, बल्कि उनके आदर्शों और संस्कारों को भी अपने जीवन में आत्मसात करते हैं।
आज इसी पावन अवसर पर मैं अपने पूज्य पिता स्वर्गीय डोमन प्रसाद और पूज्य माता स्वर्गीय लक्ष्मी देवी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उनके चरणों में शीश झुकाकर नमन करते हुए मन ही मन यह अनुभूति होती है कि उनका स्नेह, संस्कार और मार्गदर्शन आज भी मेरे जीवन का आधार है। माता-पिता ही वे प्रथम गुरु होते हैं, जिनकी छाया से जीवन संवरता है।

पिता का अनुशासन, परिश्रम और सत्य के प्रति अटूट निष्ठा ने मुझे सदैव प्रेरित किया। वहीं, माता का वात्सल्य, धैर्य और त्यागमयी जीवन ने मुझे संस्कार और संवेदनशीलता की राह दिखाई। उनके आशीर्वाद से ही आज मैं अधिवक्ता के रूप में और सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बना सका हूँ। वास्तव में, उनका जीवन ही मेरे लिए प्रेरणा और पथप्रदर्शक है।मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मेरे पूज्य माता-पिता के दिव्य आशीर्वाद सदा मुझ पर बने रहें और मैं उनके सपनों को पूरा करने के मार्ग पर सतत अग्रसर रहूँ। उनके स्मरण मात्र से आत्मा को शक्ति और हृदय को शांति प्राप्त होती है।पुत्र के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि उनके दिए गए मूल्यों और शिक्षाओं को आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाऊँ। पितृपक्ष के इस पुण्य पर्व पर मैं अपने माता-पिता को हृदय की गहराइयों से नमन करता हूँ और उनके चरणों में कोटि-कोटि श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।

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