5 को छत्तीसगढ़ में नरेंद्र मोदी बिचार मंच (अंतर्राष्ट्रीय संत बौद्धिक मंच ) का होगा बिचार मंथन

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राजीव कुमार की रिर्पोट
धार्मिक स्थलों के संरक्षण हेतु मांगपत्र सौंपा जाएगा प्रधानमंत्री जी को
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष का मनाया जाएगा जन्म दिवस
राष्ट्रीय सचिव मृत्युंजय नाथ गोपाल जी एवं महासचिव श्री एस एन श्याम बिहार का करेंगे प्रतिनिधित्व
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के सफलीभूत प्रयास के आलोक में दिनांक पांच दिसम्बर को छत्तीसगढ़ राज्य के रत तयनपुर/बिलासपुर स्थित सिद्धिदात्री माता महामाया की पवित्र भूमि पर नरेंद्र मोदी बिचार मंच की ईकाई अंतर्राष्ट्रीय संत बौद्धिक मंच का एकदिवसीय समागम का आयोजन सुनिश्चित है। जिसमें भारतबर्ष के साथ ही नेपाल, श्रीलंका, भूटान, इंडोनेशिया,साउथ अमेरिका,नार्थ अमेरिका, दुबई में सक्रिय संगठन के पदाधिकारियों को भी निमंत्रण भेजा गया है।
इस सिलसिले में संगठन के राष्ट्रीय सचिव सह श्री बिहार धर्मशाला के सचिव मृत्युंजय नाथ गोपाल जी ने बताया कि समागम का आयोजन की मेजबानी छत्तीसगढ़ ईकाई ने संगठन के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी स्वदेशानंद ब्रह्मगिरी जी महाराज के अवतरण दिवस के अवसर पर किया है। जिसमें भारत के अनेक प्रांतों में हिंदु धार्मिक स्थलों के संरक्षण हेतु अनेक राज्यों में राज्य सरकार द्वारा गठित धार्मिक न्यास बोर्डो के स्वरूप एवं कार्यकलाप पर भी मंथन होगा।इस अवसर पर बिहार की ओर से भारतीय संस्कृति संरक्षण एवं बिकास परिषद के संस्थापक सह अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक मंच के राष्ट्रीय सचिव मृत्युंजय नाथ गोपाल जी, एवं श्यामानंद महाराज धार्मिक स्थलों के संरक्षण से संबंधित बिंदुओं की ओर ध्यान आकृष्ट करेंगे।

तत्पश्चात केंद्रीय कोर कमिटी द्वारा संस्कृति एवं धार्मिक स्थलों के संरक्षण से संबंधित एक मांग पत्र संगठन के आइकान सह भारतबर्ष के यशस्वी प्रधानमंत्री धर्मपुत्र श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी को संबोधित एक निवेदन पत्र समुचित माध्यम से भेजा जाएगा।श्री गोपाल जी ने कहा कि तत्पश्चात मंच द्वारा सनातन धर्म ही राष्ट्र धर्म है। क्योंकि सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया ,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,मां कश्चित दुख्भाग् भवेत्।यानि सब सुखी हों।सब निरोगी हो।यह धर्म किसी खास की बात नहीं करता।इस सब में केवल मानव जाति ही नहीं! बल्कि पशु पक्षी,वृक्ष बनस्पति समेत संपुर्ण सृष्टि के संपन्नता की बात करती है।इसलिए इस धर्म का प्रसार एवं संरक्षण हैं।और जबतक हारे धार्मिक स्थल समुन्नत न हों।तो सभ्य समाज की कल्पना बकवास होगी। क्योंकि धार्मिक स्थल ही संस्कृति के केंद्र होते हैं।

 

 

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