बिहार में महागठबंधन के इशारे पर अपराधी कर रहें मौत का तांडव : डॉ. मनीष (भाजपा) - Newslollipop

बिहार में महागठबंधन के इशारे पर अपराधी कर रहें मौत का तांडव : डॉ. मनीष (भाजपा)

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जंगलराज पार्ट-2 अपराधियों के नए मुखिया बनें तेजस्वी

चंद्रमोहन चौधरी .
बिक्रमगंज। पटना से लेकर बिहार के कई जिलों इन दिनों सड़कों पर खुलेआम लोगों के साथ मौत तांडव अपराधियों ने मचा रखा है। जिसके कारण बिहार की जनता एक बार पुनः महागठबंधन के गुंडों का शिकार बनती जा रही हैं। इस पर दुःख व्यक्त करते हुए के काराकाट विधानसभा के युवा भाजपा नेता सह प्रदेश कार्य समिति सदस्य डॉ. मनीष रंजन ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति करते हुए बताया कि इस खूनी तांडव का मुख्य कारण बिहार में होने वाली विधानसभा चुनाव में एनडीए सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कार्यकर्ताओं को बदनाम करना है। ताकि जनता के नजरों में महागठबंधन अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित कर सकें। सबसे सोचिए बात है कि आखिर विधानसभा चुनाव आते ही बिहार में मौत का खूनी खेल कैसे जारी हो जाता हैं। जिससे स्पष्ट होता है अब बिहार में महागठबंधन का पतन होना शुरू हो गया हैं। जिस साख को बचाने के लिए महागठबंधन के अपराधी कार्यकर्ताओं बिहार में पार्टी कार्यकर्ता, व्यवसायी, आमजन के साथ मौत का खूनी खेल खेल रहें है।डॉ. मनीष ने बिहार में हुई हालिया आपराधिक घटनाओं का हवाला देकर कहा कि बिहार में एनडीए की सुशासन सरकार है। जहां कानून-व्यवस्था को हाथ में लेने वालें अपराधियों को गोली की जवाब गोली से दी जायेगी। साथ ही पुनः बिहार में एनडीए सरकार जनता बनायेगी।

लालू के शासनकाल में बिहार में लोग थे गुलाम :

उन्होंने बताया कि लालू यादव के राज में था अपराध का बोलबाला 1990 में जब लालू यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने खुद को सामाजिक न्याय का मसीहा बताया। पिछड़े वर्गों को सत्ता में हिस्सेदारी दिलाना उनका मिशन था। लेकिन जल्द ही उनके शासन पर भ्रष्टाचार, जातिवाद और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के आरोप लगने लगे। जिसके बाद सत्र 1995-2005 के दशक में बिहार में अपराध, अपहरण, रंगदारी और माफिया राजनीति का बोलबाला हो गया।

तेजस्वी बिहार में गुंडाराज के नए अवतार :

आरजेडी ने नेतृत्व में महागठबंधन बिहार की सत्ता से बाहर हो चुकी है। अब पार्टी में लालू-राबड़ी का दौर खत्म हो चुका है। जिस पार्टी की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में हैं। इसके बावजूद सत्ता पक्ष उन्हें लगातार याद दिलाता है कि “तुम उसी जंगलराज की पैदाइश हो” वहीं जनता की याददाश्त में ‘जंगलराज’ एक डरावनी छवि बन गई है। अपराधियों के खुलेआम घूमने की, सरकारी ढांचे के ध्वस्त हो जाने की, और आम लोगों के असुरक्षित महसूस करने की। ऐसे में आज भी जब बिहार में चुनाव आता है, तो यह शब्द वापसी करता है और लालू यादव की विरासत को कटघरे में खड़ा कर देता है। ‘जंगलराज’ ने लालू यादव की छवि पर ऐसा दाग लगाया जो अब उनके बेटे की राजनीति तक पीछा नहीं छोड़ता। जिस महागठबंधन के गुंडाराज पुनः बिहार में स्थापित करने के लिए तेजस्वी यादव अपराधियों का टीम तैयार कर उसका नेतृत्व करने में लगें है।