राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार द्वारा 28–29 नवंबर को पटना में दशरथ मांझी संस्थान स्थित सभाकक्ष में दो दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण
MANOJ KUAMR.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार द्वारा 28–29 नवंबर को पटना में दशरथ मांझी संस्थान स्थित सभाकक्ष में दो दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण सत्र–सह–समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। अपर मुख्य सचिव, भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग श्री दीपक कुमार सिंह की अध्यक्षता तथा सचिव श्री जय सिंह द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण एवं बैठक में राज्य के सभी जिलों के भूमि सुधार उप समाहर्ताओं (डीसीएलआर) द्वारा पिछले तीन महीनों में किए गए कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गई। बैठक में विभाग के विशेष सचिव श्री अरुण कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
समीक्षा के दौरान गया जिला के सदर अनुमंडल के डीसीएलआर(श्री दिलीप कुमार ध्वज) ने दाखिल खारिज वाद के निष्पादन में राज्य में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है । गया सदर के वर्तमान भूमि सुधार उप समाहर्ता श्री ध्वज ने गया सदर में लंबित दाखिल खारिज वाद से परेशान रैयत की राह को आसान करते हुए उनके परेशानी को और कम करने हेतु प्रतिबद्धता जाहिर किए हैं । निर्वाचन अवधि में भी जुलाई से नवंबर माह 2025 तक करीब 913 दाखिल खारिज वाद के निष्पादन का इतिहास रचते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किए हैं । बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम (BLDR) के अंतर्गत विवाद का भी त्वरित गति से निष्पादन किया जा रहा है तथा सभी रैयत एवं पक्षकारों के मध्य जमीन से जुड़ी हुई मामले में एक नई उम्मीद जगी है । श्री ध्वज ने बताया कि अगर वे सभी मामले के निष्पादन कर लंबित वाद को शून्य कर पाते तो उन्हें आत्मिक खुशी मिलती परन्तु अंचल स्तर पर दाखिल खारिज के रूप में मूल न्यायालय में विद्वान अधिवक्ता के अदम पैरवी के अभाव में अत्यधिक मामले में दाखिल खारिज वाद का बेवजह अस्वीकृत करने से भूमि सुधार उप समाहर्ता के कार्यालय में अत्यधिक दबाव उत्पन्न होता है जो मूलतः अंचल से ही निष्पादन हो जाना चाहिए था । इसके अतिरिक्त दाखिल खारिज अधिनियम में भी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि अंचल कार्यालय में अभी विद्वान अधिवक्ता द्वारा वाद के निष्पादन में भाग और पैरवी नहीं किया जाता है जिससे रैयत को क्या क्या छोटे मोटे दस्तावेज समर्पित करना है और मामूली कारण से दाखिल खारिज वाद अस्वीकृत होता हैं एवं रैयत की परेशानी बढ़ती है । अगर अधिनियम में सुधार होती है (यथा विधान अधिवक्ता के माध्यम से अंचल में भी दाखिल खारिज वाद की सुनवाई) तो रैयत को बहुत हद तक राहत मिलने की संभावना है तथा राज्य के राजस्व लगान में भी वृद्धि हो सकती है ।