मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष रहे और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही

भारत रत्न से सम्मानित मदन मोहन मालवीय जीके जयंती पर नवादा विधि कॉलेज के प्राचार्य डॉ दी एन मिश्रा जी के द्वारा मालवीयजी के जयंती पर कालीबाड़ी आवास पर उनके चित्र पर माला पुष्प चढ़ा कर नमन करते हुए कहां भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी शिक्षाविद, और समाज सुधारक महान शिक्षक का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ। वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक थे, जो आज एशिया के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में से एक है मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष रहे और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
उन्होंने स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया और सामाजिक सुधारों के लिए काम किया, विशेष रूप से अछूतों के अधिकारों के लिए। वे भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रबल समर्थक थे और अपनी वाणी से लोगों को प्रेरित करते थे।उन्होंने “हिंदुस्तान टाइम्स” अखबार की स्थापना में भी योगदान दिया। उनके प्रयासों ने शिक्षा, समाज और राजनीति में गहरी छाप छोड़ी। उन्हें मरणोपरांत 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। मालवीय जी का जीवन सादगी, समर्पण औरदेशभक्ति का अद्भुत उदाहरण है। 12 नवंबर 1946 को उनका निधन हो गया, लेकिन वे भारतीय इतिहास में अमर हैं।