मानी गांव में स्थापित हुए हनुमानजी, सात दिनों तक चली पूर्जा अर्चना
चंद्रमोहन चौधरी ।
ब्राम्हण भोज में 15 हजार से अधिक लोग ग्रहण किए प्रसाद
श्रीमद महायज्ञ एवं श्री श्री हनुमंत प्राण प्रतिष्ठान, भगवत कथा एवं रामकथा का हुआ आयोजन।
एंकर- रोहतास जिला के बिक्रमगंज प्रखंड के मानी गांव में सात दिनों से चल रहे श्रीमद महायज्ञ एवं श्री श्री हनुमंत प्राण प्रतिष्ठान-भगवत कथा एवं रामकथा सोमवार को पूर्णाहुति एवं ब्राम्हण भोज के साथ संपन्न हो गया। भोज में 500 से अधिक साधु-संत पहुंचे। 15 हजार से अधिक ग्रामीण शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किए। गांव हनुमान जी, भगवान राम और मां सीता और राधे-कृष्ण की जयकारा से गूंज उठा। सभी साधु को भोजन के बाद अंगवस्त्र देकर विदाई की गई। नवनिर्मित हनुमान जी की मंदिर में उनके दर्शन के लिए ग्रामीणों की भीड़ लगी रही। घरवासडीह पीठाधीश्वर नारायणाचार्य जी महाराज ने कहा कि मानी गांव और आसपास में सूखी – समृद्धि बढ़े। भाईचारा बढ़े तथा गांव का उत्थान हो। सनातन धर्म को बढ़ावा मिलेगा। घरवासडीह मठ के युवाराज केश्वाचार्य जी महाराज जी ने कहा कि इंद्र भगवान भी मेहरबान रहे। यज्ञ के दौरान बुंदा-बुंदी बारिश कराकर सफल बना दिए। अब इंद्र भगवान बारिश करेंगे और किसानों के खेतों में धान की फसल लहलहाएगी। वृंदावन की शिवांजली चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान राम, भगवान कृष्ण और हनुमान जी की कृपा इस गांव पर पड़ेगा। श्री हनुमंत प्रतिष्ठातमक महायज्ञ में भक्तों द्वारा संचालित और आचार्य ओम त्रिवेदी उर्फ टुलन बाबा ने कहा कि ग्रामीणों के सहयोग से यज्ञ धार्मिक अनुष्ठानों के बीच संपन्न हो गया। गांव में हनुमान जी के मंदिर में उनके प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित यज्ञ सनातप धर्म को बढ़ावा देने का कार्य करेगा। ग्रामीणों ने रामकथा से भगवान राम के जीवन और भागवत कक्षा से धर्म, कर्म, मोक्ष और सूक्ष्म तत्वों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
यज्ञ कमेटी के सरोज सिंह, सुरेंद्र सिंह, हरेराम सिंह, जर्नादन सिंह, मुखिया लवजी कुमार गौतम, राजू कुमार, लालबाबू सिंह, अशोक कुमार, सुनील सिंह, अजीत कुमार गुप्ता, दधिबल सिंह, प्रमोद कुमार सिंह, बिजेंद्र सिंह, चुन्नू सिंह, राधेश्याम, बादल सिंह ने बताया कि श्रीमद महायज्ञ एवं श्री श्री हनुमंत प्राण प्रतिष्ठान-भागवत कथा एवं रामकथा का आयोजन 20 जून को शुरू हुआ था और 26 जून को पूर्णाहुति और ब्रह्मभोज के साथ संपन्न हुआ। यज्ञ स्थल पर मेला जैसा दृश्य रहा। पूर्णाहुति होने तक परिक्रमा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।