श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के तहत कानुपर में इलाज के बाद लगायी गयी मशीन

धीरज ।

अमन को लगा कॉकलियर इंप्लांट तो माता—पिता के चेहरे पर आयी मुस्कान

गय।जिला में श्रवण श्रुति कार्यक्रम की काफी बच्चों को मदद मिली है. इस कार्यक्रम की मदद से नहीं सुनने की क्षमता से प्रभावित बच्चों के कानों की जांच की जाती है और आवश्यकतानुसार सर्जरी कर उनका इलाज किया जाता है. बच्चों की जिला स्तर पर जांच के बाद कानपुर या पटना भेजा जाता है।ऐसे बच्चे जो जिनके सुनने की संभावना सर्जरी से हो पाती है वैसे बच्चों के लिए कॉकलियर इंप्लांट विधि अपनायी जाती है।इस विधि की मदद से एक मशीन कानों के उपरी हिस्से में लगाया जाता है. जिला में कई बच्चों को कॉकलियर इंप्लांट कराकर उन्हें सुनने की क्षमता बढ़ाने की हर कोशिश जाती है। बच्चे अपने माता—पिता द्वारा आवाज लगाए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया भी दे पा रहे हैं।
कानपुर में होता है बच्चे का कॉकलियर इंप्लांट:
कॉकलियर इंप्लांट वाले बच्चों में अमन कुमार भी शामिल है जो सही प्रकार से सुन नहीं पा रहा था।उसकी जांच के बाद उसे कॉकलियर इंप्लांट कराया गया है।अमन के पिता और जिला के मखदूमपुर निवासी कमलेश साव ने बताया कि बच्चे का कॉकलियर इंप्लांट किया गया है. उसे आशा है कि उसका बच्चा पूरी तरह सुन सकेगा और वह अपने घर में अपने परिवार और दोस्तों को प्रतिक्रिया दे सकेगा।अमन की उम्र पांच वर्ष हो चुकी है। उसके बचपन से ही नहीं सुनाई दे रहा था। उसके सामान्य तौर पर प्रतिक्रिया नहीं देने से उसके माता—पिता को संदेह हुआ और उन्होंने बच्चे के कानों की जांच करायी. कानों की जांच से पता चला कि बच्चे सुनने की क्षमता से प्रभावित है।इसके बाद आशाकर्मी से श्रवणश्रुति प्रोजेक्ट के बारे में पता चला. जिला सदर अस्पताल में जांच के बाद चिकित्सकों ने कॉकलियर इंप्लांट की राय दी और कहा गया कि सरकार द्वारा इससे संबंधित सभी खर्चों का वहन किया जायेगा। इसके बाद उनके बच्चे को कानपुर में सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लांट किया गया है।डीएम द्वारा किया जा रहा कार्यक्रम का अनुश्रवण:
डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से कानपुर स्थित मेहरोत्रा ईएनटी अस्पताल में इलाज किया जाता है।इस संबंध में बताया कि श्रवण श्रुति कार्यक्रम का अनुश्रवण जिलाधिकारी डॉ एसएम त्यागराजन द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से ऐसे सभी बच्चे जो सही प्रकार से नहीं सुन पाते या पूरी तरह से बहरापन के शिकार है। उनके सर्जरी और इलाज की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है और सारा खर्च वहन किया जाता है. इसके बाद बच्चे की नियमित थेरेपी होती है.

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