समाज की सेवा शब्दों से नहीं कर्मों से होती है- पूजा ऋतुराज.
विश्वनाथ आनंद
औरंगाबाद (बिहार )-समाज की सच्ची सेवा शब्दों से नहीं, कर्मों से होती है। यही बात पूजा ऋतुराज के जीवन में स्पष्ट दिखाई देती है। वह उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने जीवन को समाज के उत्थान, संस्कृति के संरक्षण, हिंदी,मगही साहित्य और शिक्षा के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया है।पूजा ऋतुराज न केवल एक समाजसेवी हैं, बल्कि एक सर्वांगीण प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं — जिनकी कार्यशैली में करुणा, नेतृत्व, सृजनशीलता और जनकल्याण का सुंदर संगम देखने को मिलता है। उनके अंदर एक दृढ़ नारी, एक संवेदनशील हृदय और एक सशक्त विचारक का अद्भुत मेल है।
वे समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए निरंतर कार्यरत रहती हैं। शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसे कई क्षेत्रों में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।उनका मानना है कि —
“अगर हर व्यक्ति अपने आसपास के दस लोगों के जीवन में उजाला भर दे, तो पूरा समाज रोशन हो जाएगा।”उनकी सोच में सकारात्मकता और कार्यों में पारदर्शिता झलकती है। पूजा ऋतुराज ने सामाजिक कार्यों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है। वे प्रतिभा, परिश्रम और विनम्रता का अद्भुत उदाहरण हैं।आज पूजा ऋतुराज समाज में एक प्रेरणास्रोत के रूप में जानी जाती हैं। वे यह सिद्ध करती हैं कि सच्ची नारी शक्ति वही है जो अपने अधिकारों के साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करे।उनकी सामाजिक यात्रा यह सिखाती है कि —
“सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, और समर्पण ही सबसे बड़ी साधना।” औरंगाबाद के समाजसेवी महिला श्रीमती सुधा आनंद ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान उक्त बातें कही.