शेरघाटी में जनसुराज प्रत्याशी पवन किशोर बने चर्चा।
शेरघाटी। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर शेरघाटी में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हैं, वहीं जनसुराज के प्रत्याशी पवन किशोर इन दिनों क्षेत्र की चर्चा में बने हुए हैं। उनकी शिक्षा, कार्यशैली एवं पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि ने उन्हें युवा मतदाताओं के बीच एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में स्थापित किया है।
पवन किशोर की शुरुआती शिक्षा शेरघाटी के डीएवी विद्यालय से हुई जहाँ से उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इंटर की पढ़ाई उन्होंने गया से की। उच्च शिक्षा के लिए वे दिल्ली गए और वहाँ बीबीए की पढ़ाई की। कुछ समय तक निजी कंपनी में नौकरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। दिल्ली में उन्होंने एक वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ वकालत का अनुभव भी अर्जित किया, जिसके बाद माँ के आग्रह पर वे अपने गृह क्षेत्र शेरघाटी वापस लौट आए।
राजनीति पवन किशोर को पारिवारिक विरासत में मिली है। उनके दादा किशोर सिंह उर्फ किशोर बाबू 1984 में शेरघाटी नोटिफाइड एरिया के अध्यक्ष रहे और क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय थे। उनके पिता शैलेन्द्र कुमार उर्फ टुनटुन सिंह 1990 में गुरुआ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी बने, लेकिन करीब चार हजार मतों से हार गए। इसी दशक में उनकी हत्या हो गई। बाद में 2002 में जब शेरघाटी नगर पंचायत बना तो उनके बड़े चाचा जयंत सिंह उर्फ जैन बाबू अध्यक्ष चुने गए और 2007 तक पद पर रहे।
पवन किशोर ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत अपनी माता गीता देवी को वार्ड पार्षद का चुनाव लड़वाकर की, जिसमें वे निर्विरोध चुनी गईं। 2022 में नगर परिषद बनने पर गीता देवी ने बड़ी जीत हासिल की। नगर क्षेत्र में उनके कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों और पवन किशोर की सक्रियता ने उन्हें युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। क्षेत्र में उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिलता दिख रहा है।