शब्दवीणा की कर्नाटक प्रदेश समिति की मासिक काव्यगोष्ठी में समसामयिक विषयों पर पढ़ी गयीं रचनाएँ.... - Newslollipop

शब्दवीणा की कर्नाटक प्रदेश समिति की मासिक काव्यगोष्ठी में समसामयिक विषयों पर पढ़ी गयीं रचनाएँ….

IMG-20250729-WA0031

 

विश्वनाथ आनंद

गया जी( बिहार) -राष्ट्रीय साहित्यिक सह सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ की कर्नाटक प्रदेश समिति ने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी की उपस्थिति में मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की, जिसमें आमंंत्रित रचनाकारों ने सावन, बारिश, तीज व्रत, प्रेम, देशभक्ति जैसे समसामयिक विषयों पर रचनाएँ पढ़ीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता शब्दवीणा कर्नाटक प्रदेश साहित्य मंत्री निगम राज़ ने की, तथा संचालन शब्दवीणा कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष सुनीता सैनी गुड्डी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजयेन्द्र सैनी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुनीता सैनी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके किया। काव्यगोष्ठी में रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक गीत, ग़ज़ल, दोहे एवं मुक्तक रचनाएँ सुनायीं।

 

विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंंत्रित ग़ज़लकार श्री फना की ग़जल “नया एक आशियाना चाहता है, परिंदा फिर ठिकाना चाहता है”, सुनीता सैनी की “चले आना तुम, जब आयेगा सावन”, प्रदेश प्रचार मंत्री संध्या निगम की “भक्तों पे शिव की नज़रिया, भींगे शिव की नगरिया” की ग़जल व गीतों पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। प्रदेश कोषाध्यक्ष पूनम शर्मा ने “काशी में बुला लो बाबा, मन भटके” भजन द्वारा भगवान शंकर को श्रद्धासुमन अर्पित किया। शब्दवीणा कर्नाटक प्रदेश संगठन मंत्री आनंद दाधीच की “मैं अंधेरों में, उजाले खोजता हूँ। ग़म पाता हूँ अक्सर खुशियाँ देकर, फिर भी मुस्कुराने की सोचता हूँ” को भी सबसे सराहना मिली। डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी की रचना “इन शब्दों ने” की पंक्तियाँ “शब्दों के हैं जाल अनोखे, दे जाते जो अक्सर धोखे। इन शब्दों ने कभी हमें खुशियाँ दीं, कभी सितम ढाया है” भी श्रोताओं को खूब पसंद आयीं।

कार्यक्रम अध्यक्ष निगम राज़ ने अपने संबोधन में प्रस्तुत रचनाओं की संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत की। शब्दवीणा के सम्मान में श्री राज़ ने उत्साहवर्द्धक मुक्तक पढ़़ा कि “बहुत भारी हैं ज़िम्मेदारियाँ, मिलकर कर उठाने की, नयी ऊँचाइयों पर शब्दवीणा को धरेंगे सब”। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे जुड़कर गोपाल अश्क, ब्रजेन्द्र मिश्र, महावीर सिंह वीर, फतेहपाल सिंह सारंग, जैनेन्द्र मालवीय, पी के मोहन, डॉ रवि प्रकाश, प्रो. सुनील उपाध्याय, प्रो. सुबोध कुमार झा, अनंग पाल सिंह भदौरिया अनंग, सरिता कुमार, सरोज कुमार, राम नाथ बेख़बर सहित अनेक दर्शकों ने काव्य पाठ का आनंद उठाया तथा अपनी टिप्पणियों से रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया.