मकर संक्रांति पर धर्म और चिकित्सा का अद्भुत संगम है- कृष्ण मुरारी

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विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार )- गया मगध प्रक्षेत्र के जहानाबाद जिला के प्रोफेसर कृष्ण मुरारी का मानना है कि मकरसंक्रांति पर्व धर्म व चिकित्सा दोनों का अद्भुत संगम है। इसी दिन सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं। इससे शुभ मुहूर्त प्रारम्भ हो जाता है। चूड़ा दही और तिल सेहत के हिसाब से भी अचूक औषधि है तो खिचड़ी (पोंगल)शास्त्रों में चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना गया है। हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है। नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है।

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हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। खिचड़ी की गर्मी का संबंध मंगल और सूर्य से है। इस प्रकार खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं 😀 ऐसी मान्यता है । ये भी कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से शरीर पूरे साल आरोग्य रहता है। वैसे भी पोषण की दृष्टि से देखा जाये तो खिचड़ी सम्पूर्ण,भोजन है।* चावल(कार्बोहाइड्रेट), दाल (प्रोटीन), घी (वसा), सब्जियां (विटामिन्स/ मिनरल्स/ फाइबर) । खिचड़ी में सभी पोषक तत्व एक ही व्यंजन में मिल जाते हैं!मकर सक्रांति के अवसर पर भारत में लगभग सभी जगहों पर खिचड़ी बनती है।उत्तरायण होते सूर्य की कृतज्ञ वंदना का पर्व मकर संक्रांति की आप सभी को बहुत बहुत बधाई एवं मंगलकामनाएँ!प्रोफ० कृष्णमुरारी संपादक मगध डायरी, प्रतिनिधि जीवन कुमार विधान परिषद शिक्षक वाचन क्षेत्र गया, मुख्य आयुक्त भारत स्काउट एंड गाइड जहानाबाद!

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