पहलगाम आतंकी हमले एवं अॉपरेशन सिंदूर जैसे ज्वलंत समसामयिक विषयों पर पढ़ी गयीं कविताएँ.... - Newslollipop

पहलगाम आतंकी हमले एवं अॉपरेशन सिंदूर जैसे ज्वलंत समसामयिक विषयों पर पढ़ी गयीं कविताएँ….

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विश्वनाथ आनंद

गयाजी( बिहार)- राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ की कर्नाटक प्रदेश समिति द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी के निर्देशन में एवं कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष सुनीता सैनी गुड्डी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजयेंद्र सैनी के संयुक्त संचालन में मासिक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शब्दवीणा के रचनाकारों द्वारा पहलगाम आतंकी हमला, अॉपरेशन सिंदूर, भारतीय संस्कृति तथा महिला सशक्तीकरण, देशभक्ति जैसे ज्वलंत समसामयिक विषयों पर स्वरचित कविताएँ पढ़ी गयीं। कार्यक्रम का शुभारंभ सुनीता सैनी की स्वरचित सरस्वती वंदना “कोई ऐसा भेद सिखा दो माँ, सारे सार समाये हैं तुझमें” की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि ने “हम छिपेंगे नही, हम लुकेंगे नहीं। यत्न कर लो, मगर हम झुकेंगे नहीं। गिनतियाँ अब तो उल्टी गिनो कायरों। वीर भारत के अब तो रुकेंगे नहीं” मुक्तक द्वारा आतंक का पर्याय बने पाकिस्तान को भारतीय सैनिकों की ओर से चेतावनी दी। राष्ट्रीय साहित्य मंत्री वंदना चौधरी की ‘धर्म वतन की रक्षा का, कब स्वीकार करोगे तुम। छिपकर बैठे हैं जेहादी, कब तक प्यार करोगे तुम?,’ राष्ट्रीय संगठन मंत्री संतोष संप्रीति की ‘कोई मुझको अबला समझे, यह मुझको स्वीकार नहीं’ एवं हरियाणा प्रदेश सचिव सरोज कुमार की ‘रहे तिरंगा मेरे भारत की पहचान’ पंक्तियों को खूब सराहना मिली। गया जिला अध्यक्ष जैनेन्द्र कुमार मालवीय ने “देश, धर्म की रक्षा करके जिसने जग ज्योति जलाई है। वह शौर्य, शक्ति, करुणा की देवी, माता अहिल्याबाई है” पंक्तियाँ पढ़ीं। 

कर्नाटक के वरिष्ठ कवि नंद सारस्वत स्वदेशी ने ‘मन ही मन का मीत है, मन महके तो बज उठता, खुशियों का संगीत है’ गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। शब्दवीणा की कर्नाटक प्रदेश कोषाध्यक्ष पूनम शर्मा द्वारा प्रस्तुत तुकबंदियों को सुन मंच हास्य रस से सराबोर हो गया। कर्नाटक प्रदेश प्रचार मंत्री संध्या निगम ने ‘भोले के हाथ म़े त्रिशूल विराजे, त्रिशूल में ओम समाया है एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आशा दिनकर की ‘रे मोहना, कृष्ण कन्हाई, नटवर नागर आ जाओ’ भजनों की सुमधुर प्रस्तुति दी। कर्नाटक प्रदेश साहित्य मंत्री निगम राज ने “मैं खुश हूँ, सबने मान लिया, मेरा भी ईमान सही है। सारा जग अब कहता फिरता है, अपना हिन्दुस्तान सही है” ग़ज़ल सुनायी। उत्तर प्रदेश से जुड़े शब्दवीणा मथुरा जिला सचिव फतेहपाल सिंह सारंग ने ‘फूल कहने लगे, उनपे भंवरों की गुंजन अनूठी तो थी, पर रहे अनसुने क्यों तुम्हारे लिए’ जैसी पंक्तियों द्वारा चिंतन हेतु अनेक विचारणीय प्रश्न मंच के समक्ष रखे। शब्दवीणा की उत्तराखंड प्रदेश साहित्य मंत्री आशा साहनी ने “मोहब्बत के फसानों में फिसलना भी जरूरी है” एवं “कद्र हमने मुहब्बत की कर ली मगर, शख्स वो मेरी पलकें भिगोता रहा” ग़ज़लों द्वारा अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम अध्यक्ष विजेंद्र सैनी ने काव्यगोष्ठी में प्रस्तुत सभी रचनाओं की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की। धन्यवाद ज्ञापन झारखंड प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा प्रसाद ने किया। 

काव्यगोष्ठी का प्रसारण फेसबुक पर शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे जुड़कर पुरुषोत्तम तिवारी, महावीर सिंह वीर, पी. के. मोहन, डॉ रवि प्रकाश, पंकज मिश्र, आर के निगम, डॉ आशा मेहर किरण, पंकज मिश्र, डॉ. विजय शंकर, दीपक कुमार, विष्णु दत्त पांडेय, सुनील कुमार उपाध्याय, डॉ वीरेन्द्र कुमार, आशा साहनी, नंद किशोर जोशी, टुन्नू दांगी, अरुण कुमार यादव सहित सैकड़ों काव्यानुरागियों ने रचनाकारों का अपनी टिप्पणियों द्वारा उत्साहवर्द्धन किया।