देखकर होता गलत, हम क्यों न बोलें? - Newslollipop

देखकर होता गलत, हम क्यों न बोलें?

WhatsApp Image 2024-03-31 at 9.04.04 PM

विश्वनाथ आनंद.
गया (बिहार )- देखकर होता गलत, हम क्यों न बोलें, मुख न खोलें?
ठूंठ बन जायें, झुका के सिर प्रभंजन संग डोलें?
डोलते ही रहें दायें, कभी बायें, कभी आगे, कभी पीछे नयन मीचे?
दें गलत का साथ क्यों, अपने हृदय में रंज घोलें!(?)

हम नहीं लोलक, नहीं दोलक, नहीं ढोलक फटे।
आँधियों में भी हिमालय-से, सदा रहते डटे।।
चक्रवातों से निरंतर खेलते हैं हम रहे।
संकटों को शीश पर रख, झेलते हैं हम रहे।।

ध्वंस में, विध्वंस में भी नाव खेते उदय की।
वीरगति में देखते द्युति, हम अनोखे विजय की।।
कंठ में रखकर हलाहल, मुस्कुराते रुद्र भोले।।
देखकर होता गलत हम क्यों न बोलें, मुख न खोलें?

☘️🌹☘️✍️ डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी