कपिलदेव को देश ने वह सम्मान नहीं दिया जिसकी वह हकदार थे- हिमांशु शेखर

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-कपिल देव का जन्म दिवस (6 जनवरी 1959 ).
विश्वनाथ आनंद
गया (बिहार )-भारत में क्रिकेट के प्रति लोगों का जुनून देखकर कहा जाता है कि यह कोई खेल नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा मजहब हो गया है, जिसमें खिलाड़ी भगवान बन चुके हैं। गांव से लेकर शहरों तक चारों ओर क्रिकेट की धूम मची हुई है। क्रिकेट की लोकप्रियता के आगे हम सभी खेल फीके पड़ गए हैं। भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान महान ऑलराउंडर कपिल देव का है।भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुँचाने वाले शदी के सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर कपिल देव को जन्मदिन(6 जनवरी 1959) की हार्दिक शुभकामना प्रेषित करना एक गर्वित पल है। 25 जून 1983 के पहले भारतीय टीम को क्रिकेट का बेबी समझा जाता था, लेकिन कपिल देव ने अपनी कप्तानी में अपने आश्चर्यजनक प्रदर्शन, नेतृव क्षमता तथा टीम के सहयोग से भारत को प्रथम विश्वकप जीतकर दुनिया को यह बतला दिया कि क्रिकेट की बेबी अब जवान हो गई है। उस टूर्नामेंट में जिम्बाब्वे के खिलाफ 17 रन पर पांच विकेट गिरने के उपरांत कपिल द्वारा नाबाद 175 रन की पारी खेलना क्रिकेट इतिहास का किवंदती बन गया है।

कपिल देव का वह शतक एकदिवसीय क्रिकेट में किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा पहला शतक था। कपिल देव की उस ऐतिहासिक पारी ने सभी खिलाड़ियों के अंदर आत्मविश्वास पैदा कर दिया एवं सभी खिलाड़ियों में अपनी क्षमता से अधिक प्रदर्शन करने की होड़ मच गई, और भारत ने दो बार के विश्व विजेता एवं अविजेय माने जाने वाले टीम वेस्टइंडीज का फाइनल में शिकस्त देकर सभी को अचंभित कर दिया। उसी टूर्नामेंट के फाइनल मैच में कपिल देव द्वारा पीछे दौड़ते हुए वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स का कैच लिए जाने पर पूरी दुनिया दांतो तले उंगली दबा दिया। कपिलदेव रातों-रात भारतीय क्रिकेट इतिहास का चमकता सितारा बन गये।थोड़े समय के बाद ही कपिल देव ‘हरियाणा हरिकेन’ के रूप में मशहूर हो गए । अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में पदार्पण के बाद कपिल देव दाहिने हाथ के मध्यम तेज गीत के गेंदबाज के रूप में उभरे और उन्होंने अपनी आउटस्विंग गेंदबाजी और शानदार एक्शन के कारण भारतीय टीम में अपने कैरियर के ज्यादातर समय में स्ट्राइक गेंदबाज की भूमिका निभाई ।वर्ष 1986 में कपिल देव की कप्तानी में ही भारत ने क्रिकेट का मक्का लॉर्ड्स में पहला टेस्ट मैच जीता था ।वर्ष 1990 में इंग्लैण्ड के खिलाफ लॉर्ड्स में भारत को फॉलोआन से बचाने के लिए 24 रनों की जरूरत थी । कपिल देव के साथ नरेन्द्र हिरवानी पिच पर मौजूद थे । एडी हेमिंग्स के ओवर की चार गेंदें शेष थीं । कपिल देव ने बाकी बची चारों गेंदों पर लगातार चार छक्के मारकर भारतीय टीम को फॉलोआन से बचा लिया । 1992/93 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध मैच में भारत का स्कोर 31 पर 6 विकेट गिर चुका था भारतीय टीम एक शर्मनाक और बढ़ रही थी तब कपिल देव ने शतक बनाकर टीम की लाज बचाई।कपिल देव के दौर में तेज गेंदबाज़ों के लिए भारतीय पिचों पर विकेट लेना पत्थर पर दूब उगाने के समान था। उस बेजान पिचों पर कपिल देव ने गेंदबाजी के कई कृतिमान स्थापित किए।
कपिल देव 21 वर्ष और 27 दिन की आयु में 1,000 रन और 100 टेस्ट विकेट लेने बाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने । बाद में 2,000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में बनाने का रिकॉर्ड उन्होंने अपने नाम किया । अपनी लगन और मेहनत के दम पर एकदिवसीय और टेस्ट फॉर्मेट में सर्वाधिक विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। कपिल देव ने क्रिकेट के मैदान पर कई कीर्तिमान स्थापित किए, जो सैदव युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।कपिल देव ने अपने पूरे कैरियर के 131 टेस्ट मैचों में 31.05 की औसत से 5,248 रन बनाए, जिनमें 8 शतक और 27 अर्द्धशतक शामिल हैं । इन मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 163 रन था । इन्हीं 131 टेस्ट मैचों में वे 4,623.2 ओवर की गेंदबाजी कर 434 विकेट लेने में भी सफल रहे । इनमें 83 रन देकर 9 विकेट लेना उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था ।जहाँ तक उनके एक-दिवसीय मैचों में प्रदर्शन का सवाल है, कपिल देव ने कुल 225 एक-दिवसीय मैचों में भाग लिया । इनमें उन्होंने 23.79 की औसत से कुल 3,783 रन बनाए, जिनमें 1 शतक और 14 अर्द्धशतक शामिल हैं । इनमें उनका उच्चतम स्कोर 175 था । इन्हीं एक-दिवसीय मैचों में उन्होंने 1,867 ओवरों की गेंदबाजी कर 253 विकेट भी लिए जिनमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन देकर 6 विकेट लेना रहा ।कपिल देव दुनिया के एकमात्र ऑलराउंडर हैं, जिसने टेस्ट क्रिकेट में 4000 रन और 400 विकेट लेने का कीर्तिमान स्थापित किया। एक दिवसीय क्रिकेट में दुनिया में सर्वप्रथम 200 और 250 विकेट लेने का कीर्तिमान भी कपिल देव के नाम दर्ज है। अपने दौर में कपिल देव दिवसीय क्रिकेट में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे, क्योंकि कपिलदेव का स्ट्राइक रेट 95.057 था,जो किसी भी बल्लेबाज से अधिक था। कपिल देव भारत के एकमात्र गेंदबाज है, जिसने अपने पूरे क्रिकेट करियर के दौरान कभी भी एक भी नो बॉल नहीं डाली है।
हरियाणा की टीम सिर्फ एक बार कपिल देव के नेतृत्व 1991 में रणजी ट्रॉफी चैंपियनशिप जीतने में सफलता प्राप्त किया।
उन्हें विस्डेन द्वारा वर्ष 2002 में “सदी के भारतीय क्रिकेटर” चुने गये।कपिल देव को देश ने वह सम्मान नही दिया,जिसके वे हकदार थे। उक्त बातें प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए साहित्यकार सह सामाजिक कार्यकर्ता केसपा निवासी ई. हिमांशु शेखर ने कही. उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विरुद्ध टेस्ट श्रृंखला का नाम गावस्कर- बॉर्डर ट्रॉफी दिया गया है, उसी तरह से भारत और न्यूजीलैंड के बीच श्रृंखला का नाम कपिल-हैंडली ट्रॉफी होना चाहिए। क्रिकेट जगत का सर्वोच्च पुरस्कार कपिल देव के नाम पर शुरुआत करनी चाहिए।
ब्राजील की सरकार ने अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पेले को देश का खेल मंत्री बनाया था, लेकिन दुर्भायवश भारत में यह परिपाटी नहीं है। भारत सरकार को भी खेल मंत्रालय का जिम्मा खिलाड़ियों के हाथों में सौपनी चाहिए, जिससे देश में खेल संस्कृति विकसित हो सके। भारतीय कुश्ती संघ पर नेताओं के बर्चस्व का दुष्परिणाम देश देख चुका है।
देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, सिर्फ उन्हें विकसित होने का भरपूर अवसर और प्रशिक्षण मिलना चाहिए। यदि हम अपने देश में स्कूली स्तर से बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें खेल का प्रशिक्षण दिया जाए, तो भारत भी ओलंपिक में पदकों की झड़ी लगा सकता हैं।

सरकार ने सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया। बेशक, सचिन उस सम्मान के हकदार है,लेकिन सचिन से पहले कपिल देव उस सम्मान के हकदार थे। क्रिकेट में सुनील गावस्कर, कपिल देव और हॉकी में मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न मिलना चाहिए था। हमारे देश मे सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान करने के लिए कोई रूप रेखा तैयार नही है। सरकार अपने मनोनुकूल हस्तियों को सम्मानित करती रही है। देश में मरणोपरांत भी सम्मानित करने की परंपरा है। कपिल देव अभी सक्रिय है। सरकार को उन्हें भारत रत्न प्रदान कर उनकी प्रतिभा का इस्तेमाल करना चाहिए। वे आज भी नए खेलाडियो को तराशने में मददगार साबित होंगे। वास्तव में कपिलदेव क्रिकेट जगत के महानायक हैं,और उनका खेल हमेशा युवाओं को प्रेरित करेगा।

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