कृषि में विविधता अपनाते हुए साथ में पशु एवं पक्षी पालन करना ही समेकित कृषि है

मनोज कुमार ।

गया, 14 मार्च 2024, जीविका जिला परियोजना सान्वयन इकाई, गया द्वारा बोधगया में समेकित कृषि (इंटीग्रेटेड फार्मिंग ) को बढ़ावा देने हेतु आज समेकित कृषि संकुल आमस अंतर्गत प्रतिवदेन निर्माण सह आजीविका विश्लेषण विषय पर दो दिवसीय गैर आवासीय कार्यशाला की शुरुआत की गई।उक्त मौके पर अनिल वर्मा निदेशक प्राण ने समेकित कृषि के महत्त्व को बताते हुए कहा कि असंतुलित कृषि से एक तरफ मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा ख़त्म हो रही है। कृषि में विविधता अपनाते हुए साथ में पशु एवं पक्षी पालन करना ही समेकित कृषि है। यह पर्यवरण एवं सतत विकास के लिए अच्छा है। इसमें तीन से पांच गावों के 250 से 300 किसानों का एक क्लस्टर अंतर्गत समेकित कृषि कराई जा सकती है।

सहयक निदेशक उद्यान तब्बसुम प्रवीण ने इस मौके पर कहा कि गया में पानी की उपलब्धता के दृश्टिकोण से हमें कृषि में ड्रिप इरीगेशन एवं डायवर्सिफिकेशन (विविधता ) पर ध्यान देना चाहिए। स्थानीय आवश्यकता अनुरूप कृषि लाभकारी होगी। परियोजना प्रबंधक कृषि अनिल कुमार द्वारा समेकित कृषि के मॉडल एवं परियोजना प्रतिवेदन के महत्व पर जानकारी देते हुए कहा कि आपलोगों को सभी परियोजना के पहलुओं को सीखते- समझते हुए कार्य करने की जरुरत है।

प्रभारी प्रबंधक पशुपालन सुजल कोरियआर ने बताया की इंटीग्रटेड फार्मिंग करते हुए एक साथ बतख, मुर्गी बकरी, गाय एवं मछली पालन ले अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। इस मॉडल एक जीव का भोजन दूसरे का उत्सर्जित पदार्थ है। प्रबंधक गैर कृषि विनय कुमार द्वारा बाजार की जरुरत एवं इससे कैसे लाभ प्राप्त किय जाये के वीसी में बताया। प्रबंधक संचार दिनेश कुमार द्वारा मिट्टी में उर्वरा कायम रखने हेतु मिट्टी में खाद्य अवशेष वापस डालने के महत्त्व को बताया।

प्रबंधक कृषि कौटिल्य कुमार ने बताया कि हम समेकित कृषि मॉडल पर कार्य करते हुए। मशरूम उत्पादन, मुर्गीपालन, बतख पालन, बकरी एवं गाय पालन के लिए कार्य कर रहे हैं। जीविका दीदियों को लखपति बनाने हेतु फलों उद्यानकृषि (बागवानी) बहुत महत्वपूर्ण है। हम इसपर जोर दे रहे हैं। आमस में 60 से 70 एकड़ की अनुपजाऊ भूमि पर ड्रिप इरिगेशन द्वारा कृषि की जाएगी। इसके लिए किसानों को चिन्हित किया जा रहा है। प्रत्येक पंचायत में बैठकों का आयोजना कर कृषि उद्यमियों को 300 किसानों से संपर्क कर उन्नत उपचारित बीजों से कृषि, किचन गार्डन, वर्मी कम्पोज़ आदि की जानकारी देने को कहा गया है। उत्पादक समूहों के माध्यम से पपीते एवं मूँग की खेती को बाजार तक पहुँचा किसानों की बजारीकरण की समस्या दूर करने का प्रयास किया गया है।

इस मौके पर उक्त वक्ताओं के अतरिक्त जीविका दीदियाँ, आमस एवं आसपास के किसान सहित निदेशक स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान सुनील कुमार, डीडीएम नाबार्ड श्री उदय कुमार, प्रशिक्षण प्रबंधक धर्मेंद्र कुमार, मैनेजर प्रोक्यूर्मेंट गौतम कुमार, बीपीएम आमस उमा रानी, कृषि विशेषज्ञ अन्य परियोजना कर्मी उपस्थित थे।